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पृष्ठ:दीवान-ए-ग़ालिब.djvu/२०१

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बहुत सही ग़म-ए-गेती, शराब कम क्या है
ग़ुलाम-ए-साक़ि-ए-कौसर हूँ, मुझको ग़म क्या है

तुम्हारी तर्ज़-ओ-रविश, जानते हैं हम, क्या है
रक़ीब पर है अगर लुत्फ़, तो सितम क्या है

सुख़न में ख़ामः-ए-ग़ालिब की आतश अफ़शानी
यक़ीं है हमको भी, लेकिन अब उसमें दम क्या है

२१८


बाग़ पाकर ख़फ़क़ानी, यह डराता है मुझे
सायः-ए-शाख़-ए-गुल, अफ़'अ नज़र आता है मुझे

जौहर-ए-तेग़ बसर चश्म:-ए-दीगर मा'लूम
हूँ मैं वह सब्जः, कि ज़हराब उगाता है मुझे

मुद्द'आ मह्व-ए-तमाशा-ए-शिकस्त-ए-दिल है
आइनः खाने में कोई लिये जाता है मुझे

नालः सरमायः-ए-यक'आलम-ओ-'आलम कफ़-ए-ख़ाक
आस्माँ बैज़:-ए-क़ुम्री नज़र आता है मुझे