पृष्ठ:दीवान-ए-ग़ालिब.djvu/२०५

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२२५ हूँ मैं भी तमाशाइ-ए- नैग -ए-तमन्ना मतलब नहीं कुछ इससे, कि मतलब ही बर ग्रावे २२६ सियाही जैसे गिर जावे दम-ए-तहीर काराज पर मिरी किस्मत में यों तस्वीर है शबहा-ए-हिज्राँ की २२७ । हुजूम-ए-नालः, हैरत, 'आजिज़-ए-'अर्ज-ए-यक अफ़्ताँ है ख़मोशी, रेशः - ए -सद् नैसिताँ से ख़स ब दन्दाँ है तकल्लुफ़ बर तरफ़, है जाँसिता तर, लुत्फ-ए-बदख़याँ निगाह-ए-बेहिजाब-ए-नाज , तेग़-ए-तेज़-ए-'अरियाँ है हुई यह कस्रत-ए - ग़म से तलफ, कैफियत-ए-शादी कि सुब्ह-ए- 'श्रीद मुझको बदतर अज चाक-ए-गरीबाँ है दिल-ओ-दी नगद ला, सानी से गर सौदा किया चाहे कि इस बाजार में, साग़र मता'-ए-दस्त गरदाँ है