पृष्ठ:दीवान-ए-ग़ालिब.djvu/२२६

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असद, बज़्म-ए-तमाशा में, तगाफुल पर्दःदारी है अगर ढाँपे, तो आँखें ढाँप, हम तस्वीर-ए-'अरियाँ हैं फुताद्गी में कदम उस्तुवार रखते हैं बरंग-ए-जादः सर-ए-कू-ए-यार रखते हैं जुनून-ए-फुक़त-ए-यारान-ए-रफ़्तः है, ग़ालिब बसान-ए-दश्त दिल-ए- पुर गुबार रखते हैं ___ २५ है तिलिस्म-ए-दैर में , सद हश्र-ए-पादाश-ए-'अमल आगही ग़ाफ़िल, कि यक इम्रोज बे फर्दा नहीं मुझे मालूम है, जो तूने मेरे हक्न में सोचा है कहीं हो जाये जल्द, अय गर्दिश-ए-गर्दून-ए-दूँ वह भी