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पृष्ठ:दीवान-ए-ग़ालिब.djvu/२२५

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असद'शिकवः कुफ्र-ओ-दु'आ ना सिपासी
हुजूम-ए-तमन्ना से लाचार हैं हम

२०



फिर हल्क:-ए-काकुल में पड़ी दीद की राहें
ज्यों दूद फ़राहम हुई रौज़न में निगाहें

दैर-ओ-हरम, आईन:-ए-तकरार-ए-तमन्ना
वामान्दगि - ए - शैक़ तराशे है पनाहें

२१



हूँ गर्मि-ए-नशात-ए-तसव्वुर से नग़्मः सँज
मैं 'अन्दलीब-ए-गुल्शन-ए-ना आफरीदः हूँ

२२



अय नवासाज-ए-तमाशा, सर ब कफ़ जलता हूँ मैं
इक तरफ़ जलता है दिल, और इक तरफ़ जलता हूँ मैं

है तमाशा गाह-ए-सोज़-ए-ताज़:, हर यक 'अज़्व-ए-तन
ज्यों चराग़ान-ए-दिवाली सफ़ ब सफ़ जलता हूँ