पृष्ठ:दीवान-ए-ग़ालिब.djvu/२२८

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३१ असद, उठना कयामत कामतों का, वक़्त-ए-बाराइश लिबास-ए-नज़्म में, बालीदन-ए-मज़मून-ए- 'बाली है हम मश्क-ए-फ़िक्र-ए-वस्ल-यो- ग़म-ए-हिज्र से, असद लाइक नहीं रहे हैं, राम-ए-रोज़गार के ३ असद, बन्द-ए-क़बा-ए-यार है फ़िरदौस का गुंचः अगर वा हो, तो दिखला दूं, कि यक 'बालम गुलिस्ताँ है ३५ आतश अफ़रोजि-ए-यक शो'ल:-ए-ईमाँ तुझसे चश्मक पाराइ-ए-सद शह्र-ए-चरागाँ मुझसे