पृष्ठ:दीवान-ए-ग़ालिब.djvu/२२९

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असद, बहार-ए-तमाशा-ए-गुलिस्तान-ए-हयात विसाल-ए-लालः 'अिज़ारान-ए-सर्व कामत है रश्क है आसाइश -ए-अर्बाब-ए- ग़फ़्लत पर, असद पेच-ओ-ताब-ए-दिल, नसीब-ए-ख़ातिर-ए-ग्रागाह है तोड़ बैठे, जबकि हम जाम-नो-सुबृ, फिर हमको क्या प्रास्माँ से बादः-ए-गुल्फ़ाम, गो बरसा करे ३८ ता चन्द, नाज-ए-मस्जिद-यो-बुतख़ानः खेचिये ज्यों शम्श्र, दिल ब ख़ल्वत-ए-जानानः खेचिये 'प्रिज्ज-ओ-नियाज से तो न आया वह राह पर दामन को उसके आज हरीफानः खेचिये