सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:दीवान-ए-ग़ालिब.djvu/५७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

३८

लब-ए-ख़ुश्क दर तशनिगी, मुर्दगाँ का
ज़ियारत कदः हूँ, दिल आज़ुर्दगाँ का

हमः नाउमीदी, हमः बदगुमानी
मैं दिल हूँ, फ़रेब-ए-वफ़ा ख़ुर्दगाँ का

३९


तू दोस्त किसी का भी, सितमगर, न हुआ था
औरों प है वह ज़ुल्म, कि मुझ पर न हुआ था

छोड़ा मह-ए-नख्शब की तरह, दस्त-ए-क़ज़ा ने
ख़ुर्शीद हनोज़ उसके बराबर न हुआ था

तौफ़ीक़ ब अन्दाज:-ए-हिम्मत है अज़ल से
आँखों में है वह कतरः, कि गौहर न हुआ था

जब तक कि न देखा था, क़द-ए-यार का 'आलम
मैं मोत'क़िद-ए-फ़ितनः-ए-महशर न हुआ था

मैं सादः दिल, आज़ुर्दगि-ए-यार से ख़ुश हूँ
या'नी सबक़-ए-शौक़, मुकर्रर न हुआ था