पृष्ठ:दीवान-ए-ग़ालिब.djvu/७२

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आये है बेकसि-ए-'निश्क प रोना, ग़ालिब किसके घर जायेगा सैलाब-ए-बला, मेरे बाद बला से हैं, जो यह पेश - ए-नजर दर-ओ-दीवार निगाह-ए-शौक को हैं, बाल-ओ-पर दर-ो-दीवार वुफ़्र -ए-अश्क ने काशाने का किया यह रंग कि हो गये मिरे दीवार-ओ-दर, दर-ओ-दीवार नहीं है सायः, कि सुनकर नवेद-ए-मक़दम-ए-यार गये हैं चन्द क़दम पेश्तर, दर-ओ-दीवार हुई है किस कदर अरजानि -ए - मै -ए- जल्वः कि मस्त है तिरे कूचे में हर दर-ओ-दीवार जो है तुझे सर-ए-सौदा-ए-इन्तिजार, तो श्रा कि हे दुकान-ए-मता'-ए-नजर दर-ओ-दीवार हुजूम-ए-गिरियः का सामान कब किया मैं ने कि गिर पड़े न मिरे पाँव पर दर-ओ-दीवार वह आ रहा मिरे हमसाये में, तो साये से हुये फ़िदा दर-ओ-दीवार पर, दर-ओ-दीवार