पृष्ठ:दीवान-ए-ग़ालिब.djvu/८२

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न पूछ वुस अत-ए-मै खान:-ए-जुनूं , गालिब जहाँ; यह कास:-ए-गर्दू, है एक ख़ाक अन्दाज वुस अत-ए-स'प्रि-ए-करम देख, कि सर ता सर-ए-ख़ाक गुजरे है प्राबलः पा अब-ए-गुहर बार हनोज यक कलम काराज-ए-पातश जदः, है सफ़हः-ए-दश्त नक़्श-ए-पा में, है तप-ए-गर्मि-ए-रफ्तार हनोज क्योंकर उस बुत से रखू जान 'अजीज़ क्या नहीं है मुझे ईमान 'अज़ीज़ दिल से निकला, प न निकला दिल से है तिरे तीर का पैकान 'अज़ीज़ ताब लाये ही बनेगी, ग़ालिब बाकि अः सख्त है और जान 'अज़ीज़