पृष्ठ:दुखी भारत.pdf/२६६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२४८
दुखी भारत

"एक प्रशंसा-पत्र प्राप्त २४ वर्ष का वीर्यवान् स्विस युवक किसी ऐसी सुन्दरी के यहाँ नौकरी करना चाहता है जो अकेली रहती हो।"

"एक बुद्धिमान्, धनी और सुन्दर युवक एक कुलीन, धनी और सुन्दरी की संरक्षा में रहना चाहता है।"

ऐसे अनेक विज्ञापन, जिनमें युवती कुमारियाँ, स्त्रियाँ या विधवाएँ 'अकेले रहनेवाले धनी व्यक्तियों' की गृह-प्रबन्धिका बनने या उनके साथ रहने की इच्छा प्रकट करती हैं, प्रायः व्यभिचार के उद्देश्य से ही छपवाये जाते हैं। भाषाएँ सिखानेवाले विज्ञापनों का भी प्रायः यही उद्देश्य होता है।

"कमरों के विज्ञापन––इस प्रकार के विज्ञापनों में हमें 'सुविधासम्पन्न कमरा', 'पृथक द्वार का कमरा', 'विद्यार्थियों के लिए एकान्त कमरा' आदि बातें मिलती हैं। ऐसे कमरों का विज्ञापन प्रायः पुरुषों को ही सम्बोधित करके दिया जाता है। स्त्रियों को स्वयं इनकी खोज कर लेनी चाहिए। निम्न लिखित विज्ञापन से यह बात प्रकट हो जायगी।

"दिन में किराये पर दिये जानेवाले कमरों से जो विज्ञापन सम्बन्ध रखते हैं उनमें से अभिकांश का निर्देश 'सब प्रकार के साधनों––स्त्री-सुख-भोग आदि की ओर रहता है।"

व्यक्तिगत अनुसन्धान––इस शीर्षक के स्तम्भ से लोग समाचार-पत्रों में विज्ञापन छपाते हैं कि पुरस्कार स्वरूप कुछ पाने पर (जो कि प्रायः बहुत अधिक होता है) वे गुप्त-रीति से किसी मनोवाञ्छित्त व्यक्ति पर दृष्टि रखने का कार्य हाथ में ले सकते हैं। और अधिकतर यह दृष्टि रखने का कार्य केवल सम्बन्धित व्यक्ति के विषय-भोग संबन्धी जीवन और उद्योगों का पता लगाना ही होता है। नौकर रख लिये जाने पर ये लोग अत्यन्त नीच जासूस के समस्त डङ्गों का अवलम्बन करते हैं।......इस प्रकार का एक जासूसी विज्ञापन नीचे दिया जाता है:––

व्यक्तिगत अनुसन्धान

"गोपनीय! ज्ञातव्य! सदा-सफल! सत्य! व्यापक! असाधारण रूप से संतोष-प्रद दाम्पत्य अनुसन्धान; जीवनचर्या, पारिवारिक सम्बन्ध, सम्भोग, चरित्र की विशेषताएँ, व्यवसाय, वर्तमान दशा, भूतकालीन दुराचार, भावी लक्षण, सम्पत्ति की स्थिति, गुप्त सम्भोग; इत्यादि,