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दुखी भारत

मिस मेयो ने जिन प्रमाणों के आधार पर भारतवर्ष की आर्थिक स्थिति का वर्णन किया है वे विचित्र ही प्रकार के हैं। अपनी पुस्तक के ३७५ पृष्ट पर सर्वसाधारण की आर्थिक स्थिति के सम्बन्ध में वह इस प्रकार लिखती है:––

"ज़रा भी आर्थिक स्थिति सुधरी तो किसान लोग ऐसी ऐसी अनावश्यक वस्तुएँ खरीदने लगते हैं जिन्हें किसी समय में वे स्वप्न में भी नहीं प्राप्त कर सकते थे। फरवरी १९२६ ईसवी में, अलीगढ़ के एक मेले में केवल एक समाह में लगभग १,००० पौंड के सस्ते बूट बिक गये। और बेचनेवालों को २० प्रतिशत का लाभ हुआ। जिन लोगों ने, इन बूटों को खरीद कर पहना उन्होंने बीस वर्ष पहले इसके सुख का नाम तक न सुना था। उसी अवसर पर छाते, लैम्प और स्टील के सुन्दर रंगे हुए ट्रकों की बड़ी बड़ी दूकानें कई बार खाली हुई और कई बार भरी गई। इन सब वस्तुओं के खरीदनेवाले केवल साधारण किसान थे। आज-कल वे लोग चाय, सिगरेट, दियासलाई, लालटेन, बटन, चाकू, आइना और फोटोग्राफ़ आदि धड़ाधड़ खरीद रहे हैं जो १५ वर्ष पूर्व ऐसी कोई वस्तु नहीं खरीदते थे। तीसरे दर्जे के मुसाफिरों का रेल द्वारा अधिकाधिक संख्या में यात्रा करने से भी यही जान पड़ता है कि उनके हाथ में रुपये हैं। अमरीका में जो स्थान 'मोची' का है वही भारत में कृषकों की रेल-यात्रा का। १९२४-२५ में १२,४६,००० अव्वल दर्जे के यात्रियों के मुकाबिले में ५८,१८,०४,००० तीसरे दर्जे के यात्रियों ने रेल से सफर किया। इससे भी यही सिद्ध होता है कि कृषकों के पास व्यय करने के लिए यथेष्ट धन है। तीसरे दर्जे की गाड़ियों में इन कुंड के झुंड किसानों को चढ़ते उतरते देखकर मैंने बार बार पूछा––'ये सब कहाँ जा रहे हैं; उत्तर मिला––

"कहीं भी––शादी-ब्याह में सम्मिलित होने, छोटी-मोटी वस्तुएँ खरीदने,––बस, "अभी जायँगे और लौट आयेंगे"। अधिकांश तो केवल रेल की यात्रा का कौतुक देखने के लिए ही बढ़-उतर रहे हैं।"

मिस मेयो को 'बूटों' के सम्बन्ध में सूचना किसने दी? 'बूट' का भारतवर्ष में अर्थ है पाश्चात्य लोगों की पैर में पहनने की वस्तु। भारतवर्ष के किसान और जन-साधारण उनको व्यवहार में नहीं लाते। यह तुलना करने के लिए उसे २० वर्ष पूर्व की परिस्थितियों की बातें किसने बताई? निःसन्देह अँगरेज़ अफ़सरों ने। यह सरकारी पक्ष समर्थन करनेवालों की ही भाषा है।