पृष्ठ:दुखी भारत.pdf/५

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समर्पण

यह पुस्तक अमरीका के उन अगणित नर-नारियों को प्रेम और कृतज्ञता-पूर्वक समर्पित है जो संसार की स्वाधीनता के पक्षपाती हैं, काले-गोरे और जाति या धर्म का भेद नहीं मानते और जिन्होंने प्रेम, मनुष्यता और न्याय को ही अपना धर्म माना है। संसार की दलित जातियाँ अपनी स्वतन्त्रता के युद्ध में उनकी सहानुभूति चाहती हैं; क्योंकि उन्हीं में विश्वशान्ति की आशा केन्द्रीभूत है।

लाजपतराय