"हस्ती"
और।
करी, दन्ती, वारण, नाग, गज।
हां हां ठीक है, इसका नाम गजपतिविद्या दिग्गज है।
विद्यादिग्गज! वाह! बड़ी भारी अल्ल है। जैसा नाम वैसाही उपनाम। इसके संग बात करने को जी चाहता है।
उसमान ने उसकी बातें सुनी थीं, मन में सोचा कि इसके संग बात करने में कुछ हानि नहीं बोले 'चिन्ता नहीं' दोनों ने बरामदे में जाकर एक भृत्य द्वारा उसको बुलवाया॥
नवां परिच्छेद।
दिग्गज सम्वाद।
नौकरों के संग विद्यादिग्गज आए जगतसिंह ने पूछा आप ब्राह्मण हैं?
दिग्गज ने हाथ जोड़ कर कहा।
यावन्मेरौ स्थितादेवा यावद्गङ्गा महीतले।
असारे खलु संसारे सारं श्वशुरमन्दिरं'।
जगतसिंह ने मुसकिरा कर प्रणाम किया और ब्राह्मण ने आशीर्वाद दिया 'खोदा खां बाबूजी को अच्छी तरह रक्खे'।
राजपुत्र ने कहा महाराज! मैं मुसलमान नहीं हूं में तो हिन्दू हूं।'
दिग्गज ने मन में कहा 'मुसल्मान हम को धोखा देते है या इनका कुछ काम होगा नहीं तो काहे को बुलाते' विषन्न वदन होकर बोले, खां बाबूजी मैं आपको चीन्हता हूँ, मैं आपके घरबों का दास हूँ, मुझसे कुछ न कहिये