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पृष्ठ:दुर्गेशनन्दिनी द्वितीय भाग.djvu/३८

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द्वितीय खण्ड।



उसमान राजपुत्र का आशय समझ घबराया दिग्गज ने कहा और 'अभिराम स्वामी भाग गए'।

राजपुत्र ने सोचा कि इस अज्ञ से स्पष्ट पूछने बिना कुछ न जान पड़ेगा। बोले 'बीरेन्द्रसिंह क्या हुए'।

ब्राह्मण ने कहा 'नवाब कतलू खां ने उनको कटवा डाला।'

राजकुमार का मुँह लाल हो आया। उसमान से पूछा 'यह क्या? क्या यह झूठ कहता है?'

उसमान ने धीरचित्त से कहा 'नवाब ने विचार करके राजद्रोही समझ उनको प्राणदण्ड दिया।

राजपुत्र की आँखों में रोष भर आया। उसमान से पूछा 'क्या यह काम तुम्हारी सस्मति से हुआ है?'

उसमान ने कहा 'हमारी मति के विरुद्ध।'

कुछ काल युवराज चुप रहे उसमान ने समय पाय दिग्गज से कहा अब तुम जाओ।

वह उठ कर चला कि कुमार ने उसका हाथ पकड़ कर निषेध किया और कहा कि एक बात और पूछता हूँ बिमला क्या हुई?

ब्राह्मण ने ठंडी सांस ली और रो कर कहा 'वह अब नवाब की उपपत्नी हुई है'। राजकुमार ने कराल नेत्र से उसमान की ओर देख कर कहा 'यह भी सच है?'

उसमान ने कुछ उत्तर न देकर ब्राह्मण से कहा 'तुम अब क्या करते हो? जाओ।'

राजकुमार ने ब्राह्मण का हाथ दृढ़ता पूर्वक पकड़ा जिसमें जा न सकें और बोले 'थोड़ा और ठहरों एक बात और है' उनके रक्तवर्ण आँखों से आग बरसने लगी, 'और एक बात है, तिलोत्तमा?'