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दृश्य-दर्शन


शिद-कुली-खाँ से लेकर वर्तमान नव्वाब बहादुर तक १६ नव्वाब मुरशिदाबाद के सिंहासन पर बैठे। उनके नाम ये हैं-

१. मुरशिद-कुली-खां
९. सैफुद्दौला
 
२. शुजा खाँ
१०. मुबारकद्दौला
 
३. सरफ़राज़ खां
११. बाबर अली
 
४. अलीवर्दी खां
१२ओलीजाह
 
५. सिराजुद्दौला
१३. बालाजाह
 
६. मीरजाफ़र
१४. हुमायूंजाह
 
७. मीरक़ामिस
१५. फरेदूंजाह
 
८. नजमुद्दौला
१६ हसनअली
 

मुरशिदकुली खां ने बहुत न्याय पूर्वक राज्य किया। उसने फौज़ी खर्च कम कर दिया; गल्ले का बाहर भेजा जाना बन्द कर दिया;विद्या को उन्नति दी;अनुचित कर माफ कर दिये और दोन दुखियों की खूब मदद की। उसके समय में रुपये का पाँच मन चावल बिकता था। जिसकी तनखाह एक रुपया थो वह भी मज़े में दोनों वक्त “पोलाव” उड़ाता था। उसके दीवन रज़ा खां का स्वभाव उसके स्वभाव से बिलकुल ही उलटा था। जो ज़मींदार मालगुजारी नहीं अदा कर सकते थे उनको वह रस्सी से बंधवा कर गन्दगी से भरे हुए गढ़ों में डलवा देता था। ऐसे नारकीय कुण्डोंका नाम उसने रक्खा था “बैकुण्ठ" ! मुरशिदकुली खां ने देहली के बादशाह की आधीनता अस्वीकार करके कर देना बन्द कर दिया। वह बङ्गाल,