यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१३०
दृश्य-दर्शन
लामा का दस्तखती पत्र जार को दिया। लामा की बहुत सी शर्ते रूस ने मंजूर कर ली और एक सन्धिपत्र भी लिखा गया ; परन्तु यह बात जब चीन को मालूम हुई तब उसने रूस और तिबत की उस काररबाई को रद कर दिया और तिवत पर अपनी सख्त अप्रसन्नता प्रकट की। अतएव वह बाल वहीं रह गई ; आगे नहीं बढ़ी। चीन की आज्ञा के बिना तिक्त किसी परकीय राजा से सन्धि नहीं कर सकता।
घोमंग का किस्सा कहां तक सच है नहीं मालूम। परन्तु रूस के बने हुए शस्त्र जो मिशन को युद्धस्थल में मिले हैं और तिबतियों की युद्ध पटुला जो इस समय देख पड़ रही है, उसले सूचित होता है कि रूतले सिक्त का कुछ न कुछ सम्ब़न्ध, यदि है नहीं, तो रहा आवश्य है।
[अगस्त १९०४]