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पृष्ठ:दृश्य-दर्शन.djvu/१३७

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दृश्य-दशन

नेपाल बिलकुल पहाड़ी देश है। हिमालय की सब से ऊँची चोटी अवरिष्ट (२९,०० २ फुट) नेपाल ही की सीमा के भीतर है। उसका नेपाली नाम दूध-गङ्गा है। नेपाल की हद का उत्तरी हिस्सा ऐसा है जहाँ बहुत करके साल भर वर्फ जमा रहता है । वह कभी नहीं गलता ; घोड़ा बहुत बना ही रहता है। नेपाल की राजधानी काठमाण्डू में है। वह समुद्र की सतह से कोई ४,००० फुट की ऊँचाई पर है। नेपाल का दक्षिणी हिस्सा हिन्दुस्तान से मिला हुआ है। उसे तराई कहते हैं। वहाँ की ज़मीन नीची है। उसमें सघन जङ्गल हैं और साल, शीशम इत्यादि बहुत पैदा होता है । जहां जङ्गल नहीं है वहां खेती होती है। दक्षिणी हिमालय की नन्दा देवी,धवलगिरि,दयाभङ्ग और काञ्चन-गङ्गा आदि चोटियाँ भी नेपाल ही के अन्तर्गत हैं।

घाघरा,कोसी और गण्डक आदि नदियाँ नेपाल से होकर बहती हैं। ये नदियाँ बहुत बड़ी हैं। इनके बीच का सारा पहाड़ी देश नेपाल के राज्य में शामिल है। इनमें से एक एक नदी में सात सात आठ आठ नदियाँ और आकर गिरती हैं। उनमें काली,श्वेत गङ्गा,रावती, नारायणी और दूधकोसी मुख्य हैं। नेपाल में पहाड़ों की भी कमी नहीं । और नदिओं की भी नहीं । पहाड़ों की तो बात ही क्या ? सारा नेपाल ही पर्वतमय है ! पर नदियां भी बीस पच्चीस से कम नहीं ।

नेपाल की आबोहवा एक सी नहीं। जो जगह जितनी ऊँची है उसकी आबोहवा उतनी ही अधिक ठण्डी है । नेपाल के तीन भाग किये जा सकते हैं। उत्तरी,दक्षिणी और बीच का। मैदान की जमीन से उत्तरी हिस्सा १०,००० से २९,००० फुट तक ऊँचा है और