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दृश्य-दर्शन
 

है। जो समर्थ हैं वे मांस भी खाते हैं। हिरन और जङ्गली सूअर भी लोग खाते हैं। नेवार और गुरूँग जाति के आदमी भैंस तक खाते हैं। इस देश की तरह नेपाल में भी लोग खूब बहुविवाह करते हैं। जो धनी हैं उनको एक से अधिक स्त्रियां रखने का अकसर शौक होता है। पर विधवा-विवाह का निषेध है ! नेपाल में सती की चाल अभी तक बनी हुई है। जब नेपाल के प्रसिद्ध मन्त्री जङ्ग बहादुर की मृत्यु हुई तब उनकी रानी उनके मृत शरीर के साथ सती हो गई। गोर्खा लोगों में व्यभिचार बहुत निषिद्ध है। इसके लिए स्त्री और पुरुष दोनों को कठिन दण्ड दिया जाता है। पर नेवार लोगों में विवाह बन्धन और व्यभिचार आदि का विचार उतना कड़ा नहीं। किसी किसी का मत है कि नेवार जाति की स्त्रियाँ कभी विधवा ही नहीं होती।

नेपाल की फौज में पर्वतिया, मगर और गुरूंग लोग ही अधिकता से भरती किये जाते हैं। पर इस देश की अँगरेजी गोर्खा पलटनों में और जाति के आदमी भी ले लिये जाते हैं। वे सभी गोर्खा कहलाते है। गत एप्रिल में जो भूकम्प हुआ था, उसने धर्मशाला में इसी गोर्खा जाति की एक अंगरेजी पलटन के डेढ़ दो सौ आदमियों का संहार कर डाला था। ये लोग बड़े बहादुर होते हैं। इनकी बहादुरी पर गवर्नमेंट बहुत खुश है। इसीसे लार्ड किचनर ने बहुत सा चन्दा इकठ्ठा करके मृत गोर्खा लोगों के कुटुम्बियों की सहायता की है। जनरल सेल हिल बहुत दिनों तक एक गोर्खा पल्टन में रहे हैं। वे कहते हैं कि गोर्खा लोग बड़े बहादुर, श्रम-सहिष्णु,आज्ञाकारी,स्वच्छ-हृदय,स्वाधीन-चेता और आत्मावलम्बी होते हैं। अपने मुल्क