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नेपाल

में वे विदेशियों को नहीं घुसने देते;उनसे द्वेष करते हैं। वे अपनी स्त्रियों को बहुत अच्छी तरह रखते हैं। इसीसे स्त्रियां भी उनकी खब सेवा-शुश्रूषा करती हैं। पर ये लोग ज़रा कुन्दजेहन होते हैं और कवायद परेड सीखने में अधिक दिन लगाते हैं। जब ये फौज में भरती होते हैं तब बहुत मैले रहते हैं। इसलिए पहले इनको सफ़ाई पर सबक़ देना पड़ता है। इनमें जुआ खेलने की बुरी आदत होती है। पहाड़ी मुल्क में पैदल सिपाहियों के काम में कोई इनकी बराबरी नहीं कर सकता। इनका स्वदेशी हथियार खुड़की है।

नेपाल में गुलामी की चाल अभी तक जारी है। वहीं प्रायः सब समर्थ आदमियों के यहाँ गुलाम रहते हैं गुलाम की कीमत कोई १५० रुपये तक होती है। स्त्रियाँ भी गुलाम का काम करती हैं। उनकी कीमत कुछ अधिक देनी पड़ती है । सुनते हैं,गुलाम स्त्रियों का चाल-चलन अच्छा नहीं होता। गुलामों के मालिक अपने गुलामों के साथ अच्छा वर्ताव करते हैं।

नेपाल में प्रजा की शिक्षा का अच्छा प्रबन्ध नहीं है। धनवान आदमी अपने लड़कों को प्रायः घर ही पर शिक्षक रख कर पढ़ाते हैं। नेपाल से लड़के इस देश में भी विद्याध्ययन के लिए अकसर आते हैं। नेपाल में भाषा-साहित्य का प्रायः अभाव ही है। पर संस्कृत के अनन्त अलभ्य ग्रन्थ वहाँ विद्यमान हैं । काठमाण्डू में जो राजकीय पुस्तकालय है,उसकी महामहोपाध्याय हरप्रसाद शास्त्री ने बहुत प्रशंसा की है। कई विद्वान् अंगरेज़ और हिन्दुस्तानी महीनों उसकी पुस्तकों की सूची

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