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बनारस

मकान हैं;पर वे अब बुरी दशा में हैं। १७८१ ईसवी में वारन हेस्टिंग्ज़ इसी बाग में ठहरे थे और यहीं से चेतसिंह को कैद करने का हुक्म आपने दिया था। च्यरी साहब के घातक नव्वाब वज़ीर- अली को भी गवर्नमेंट ने यहीं रहने को जगह दी थी।

महाराज विजयनगरम् की कोठी और बाग भेलूपुरा में हैं। यह भी बनारस में देखने की जगह हैं। कोठी के ऊपर से औरङ्गजेब की मसजिद की तरफ़ गङ्गाजी का अच्छा दृश्य देख पड़ता है।।

नदेश्वर की कोठी महाराजा बनारस के अधिकार में है। जनवरी १७९९ में बनारस के जज मैजिस्ट्रेट डेविस साहव इसीमें रहते थे। जब वज़ीर-अली के आदमियों ने (च्यरी साहब को मारने के वाद) उनपर हमला किया था तब डेविस साहब ने अपनी मेम और बच्चों को छत पर भेज दिया था। आप एक भाला लेकर जीने पर खड़े हो गये और ऐसी बहादुरी से बागियों का मुकाबला किया कि उन लोगों की हिम्मत डेविल साहब के पास तक जाने की न हुई। इतने में एक रिसाला आ गया और डेविस साहब मारे जाने से बच गये। वजीरअली डेविस साहब की कोठी में आग लगाने जाता था; पर उसका इरादा पूरा न होने पाया।

रामनगर महाराजा बनारस की राजधानी है। रामनगर-घाट से गङ्गा पार करके रामनगर जाना पड़ता है। काशिराज का महल देखने के लिए अनुमति की जरूरत है। महल से एक मील के फासले पर एक सुन्दर तालाव है। तालाब के पूर्व दुर्गाजी का एक मन्दिर है। उसपर रामायण और महाभारत के ऐतिहासिक चित्र खुदे हुए हैं।