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दृश्य-दर्शन

टाउन हाल और प्रिंस आफ वेल्स का अस्पताल आदि भी बना- रसकी मशहूर इमारतों में से हैं।

पुरानी इमारतें

बनारस के उत्तर तरफ़ बौद्धों के जमाने की इमारतों के भग्नावशेष कहीं कहीं पर अब तक विद्यमान हैं। जो चैत्य या विहार कुछ अच्छी दशा में हैं वे भी अब अपने पुराने रूप में नहीं हैं। उनको कहीं हिन्दुओं ने अपने ढंग का बना लिया है, कहीं मुसल्मानों ने अपने ढंग का। मकानों और मसजिदों में कहीं बौद्ध इमारतों के खम्भे लगे हैं;कहीं कुछ,कहीं कुछ। पुरानो बनावट और कारीगरों के चिन्हों से ये चीजें पहचानी जाती हैं। किसी किसी पत्थर पर कारीगरों ने गुप्त राजों के समय के अक्षरों में अपने नाम या निशान बनाये थे। वे अब तक बने हुए हैं। उनको देख कर इन चीजों की प्राचीनता का प्रमाण मिलता है।

बकरियाकुण्ड । शहर के उत्तर-पश्चिम एक महल्ला है। उसका नाम है अलीपुरा । वहां बकरिया-कुण्ड नाम का एक तालाब है। उसके किनारे पुराने जमाने की इमारतों के बहुत से निशान हैं। वहां कई एक टीले हैं जिनसे जान पड़ता है कि वहां वौद्ध लोगों की इमारतें ज़रूर रही होंगी। कहीं टूटे फूटे खम्भे पड़े हैं;कहीं कलश पड़े हैं;कहीं मूर्तियों के भग्नावशेष पड़े हैं। कहीं कहीं पर दीवारें अब तक खड़ी हैं। छतें भी कहीं कहीं पर बनी हुई हैं। वहीं,कुछ दूर पर,एक मसजिद है। उसमें एक शिलालेख फ़ारसी में है। वह फ़ीरो-