तारा प्रेस, चन्द्रप्रभा प्रेस, यज्ञेश्वर प्रेस और भारतजीवन प्रेस मुख्य हैं। मेडिकल हाल प्रेस से पण्डित नामक संस्कृत की प्रसिद्ध सामयिक पुस्तक निकलती है। हिन्दू-कालेज की मैगेज़ीन तारा प्रेस में छपती है। मित्र-गोष्ठी-पत्रिका नामक संस्कृत-मासिक-पुस्तक यज्ञेश्वर प्रेस में छपती है। भारत-जीवन नामक हिन्दी का साप्ता- हिक अखबार अपने नाम के छापेखाने से निकलता है। कई एक उपन्यासमय मासिक-पत्र भी, हिन्दी में, बनारस से निकलते हैं। बनारस से “चौखम्भा-संस्कृत-सीरीज़” नामक एक सामयिक पुस्तक संस्कृत में निकलती है। उसमें अच्छे अच्छे ग्रन्थ छपते हैं। इस प्रान्त में हिन्दी लिखने-पढ़ने की चर्चा सबसे अधिक बनारस में है। वहां से प्रायः हर महीने हिन्दी की एक-आध नई पुस्तक निकलती है। पर इन पुस्तकों में से, बँगला के आधार पर लिखी गई, किस्से-कहानी की पुस्तकों ही की संख्या अधिक होती है।
कोई १२ वर्ष हुए स्कूल के कुछ लड़कों ने मिलकर एक सभा बनाई और उसका नाम नागरी-प्रचारिणी रक्खा। नागरी अक्षर और हिन्दी भाषा दोनों का प्रचार करना इसका उद्देश है। पर इसके नाम से इसके दोनों उद्देश नहीं सूचित होते। इसने, इतने दिनों में, अच्छी प्रसिद्धि प्राप्त कर ली है। पांच छः सौ सभासद भी इसके हो गये हैं। इसने अपना एक अलग मकान भी बनवा लिया है। यह हिन्दी की पुरानी पुस्तकों की खोज करती है;