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पृष्ठ:दृश्य-दर्शन.djvu/९६

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मलाबार

गोरों की पल्टन आई;उसने इन लोगों को परास्त किया। कालीकट के जिस महल्ले में मोपला लोग रहते हैं उसका नाम मालापुरम् और जिसमें हिन्दू रहते हैं उस का नीलमपुर है। कालीकटमें सफाई बहुत रहती है। वहां के मकान, उनके बरान्डे, और नारियल तथा अनेक प्रकार के लता पत्रादिक से वेष्टित स्वच्छ वाटिकायें देख कर तबीयत खुश हो जाती है । गरीब से गरीब आदमियों के मकान भी मैले नहीं रहते।

यह वही कालीकट है जहां से किसी समय सैकड़ों तरह की छीटें विलायत को जाती थीं। जो कपड़ा कालीकट से जाता था उसका नाम, यूरोप वालों ने, कालीकट के नामानुनार “कैलीको” रक्खा था। यह “कैलोको" शब्द अब तक प्रचलित है । ११ मई १४९८ ईस्वी को सब से पहले यूरोप के पोर्चुगीज प्रवासी वास्कोडिगामा ने कालीकट के किनारे पैर रक्खा । उस समय यह नगर दक्षिण भारत की अमरावती था। वहां सैकड़ों ऊँचे ऊँचे मकान और मन्दिरों के शिखर आकाश में बादलों से बातें करते थे । १५०९ ईस्वी में पोर्चुगीजों के सेना नायक डान फरनन्डो केटिन्हो ने ३००० सिपाही ले कर कालीकट पर हमला किया; परन्तु वह खुद मारा गया और उसकी फौज जो कटनेसे बची भाग खड़ी हुई। १५१० में पोर्चुगल वालों ने इस नगर पर फिर धावा किया और इस बार इसे लूट लिया। परन्तु पीछे से उनको भागना पड़ा और बहुत कुछ नुकसान भी उठाना पड़ा। १५१३ में कालीकट के जमोरिन राजा ने पोर्चुगीज़ों से सन्धि कर ली और उन को किला बन्दी कर के एक कोठी खोलने की अनुमति भी देदी।