पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/२७१

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दसवां बयान महन्थ के आन की खबर सुनकर उस औरत का पुन उस तरह घबरा जाना और बिना कुछ जवाब दिये उठ कर इधर-उधर घूनना और अपनी तबीयत को सम्भालने की कोशिश करना नौजवान को ताज्जुब में डालने के लिये मामूली बात न थी अस्तु उसन रुकती हुई आवाज में पुन उस औरत से कहा 'यदि कहाता महन्थ को साफ-साफ जवाब द दिया जाय और कह दिया जाय कि पुन मुलाकात नहीं हो सकती। उसकी मजाल नहीं कि विना हमारी आज्ञा चौकठ क अन्दर पैर रख सके। औरत - नहीं नहीं अगर वह आ गया है तो उसको राकना मुनासिय न होगा। नौजवान - और शायद उसस किसी किस्म के पर्दे की भी जरूरत न होगी। औरत-तीक है पर्दे की भी कोई जरूरत नहीं है। तुम उसे अपने साथ लिवा लाआ मगर इस बात का ध्यान रखना कि वह अपन साथ किसी तरह का हर्वा न लाने पावे और जब तक वह मरे पास बैठा रह तुम भी मेरे पास हिफाजत के लिय मौजूद रहो। नौजवान - जब तुम्हारे दिल में उसका इतना बडा डर बना हुआ है तो उसे अपने पास लाने के लिये क्यों कहती हो? औरत-अफसास है कि मै मिलने से इनकार नहीं कर सकती साथ ही इसके जितना उससे डरती हू उतना वह भी मुझसे डरता है। खैर तुम उसे यहा तक लाओ तो सही। औरत की बातों न नौजवान के ताज्जुब को और भी बढा दिया तरह-तरह की बातें साचता हुआ वह कमरे के बाहर आया और जय महन्थ के पास पहुचा तो उसे भी तरदुद घबराहट और परेशानी क साथ टहलते हुए पाया। नौजवान न महन्य स पूछा कि आप क्या चाहते है ? इसके जवाब में महन्थ न कहा कि मै उस औरत स मिला चाहता हू जिसक साथ आप आये हैं। नौजवान - क्या आप बता सकत है कि आप को उनसे मिलने की जरूरत क्यों पड़ी? महन्थ - अफसास है कि मैं इसका सबब बयान नहीं कर सकता। नौजवान - अच्छा ता में आपका अपने साथ उनके पास ले चलता है मगर आपको इस बात की तलाशी दे देनी होगी कि आपके पास किसी तरह का हर्या नहीं है। महन्थ - हा आपको मैं तलाशी ल लने का अख्तियार देता है और अपने हाथ की यह छडी भी बाहर ही रख देता है। नौजवान - अच्छी बात है मैं भी आपको ले चलने के लिय तैयार है। इतना कह नौजवान न महन्थ की तलाशी लेकर अपनी दिलजमई कर ली और उसे अपन साथ लिये हुए उस औरत के पास चला आया। औरत ने जा एक छोटी सी दरी पर बैठी हुई थी अपने स थोडी दूर पर बिछे हुए एक कम्बल की तरफ इशारा करक महन्थ का चैटने के लिये कहा और महन्थ भी विना कुछ कह उस कम्बल पर बैठ गया । औरत - ( महन्थ से ) कहिय आप मुझसे क्या कहा चाहते है ? महन्थ - मैं जा कुछ कहा चाहता हूं वह एसी बात नहीं है कि कोई तीसरा सुन सके। औरत-(नौजवान की तरफ इशारा करके) मैं इस समय इनकी हिफाजत में हू इन्ह मुझे अकेला छोडने न छोडने का अख्तियार है। अगर यह यहा से चले जायें तो मुझे किसी तरह का उज्ज नहीं हो सकता। महन्थ - ( नौजवान स) क्या आप आधी घडी क लिय बाहर जा सकते हैं? नौजवान - हर्गिज नहीं । क्योंकि मुझमें वादशाह का हुक्म टालने की हिम्मत नहीं है। महन्थ- कौन बादशाह ? शाहजहाँ या दाराशिकाह? नौजवान - मरा मतलब शाहजहाँ स है। महन्थ-ठीक है, क्योंकि दाराशिकोह न तो इनकी गिरफ्तारी का पर्वाना ही जारी किया है। नौजवान -मुझे इस बात की खबर नहीं है कि गिरफ्तारी का पर्वाना कव और क्यों जारी हुआ। महन्थ-ठीक है मगर मै समझता था कि प्रताप आपके पास यही खबर लेकर आया होगा क्योंकि जब आपलोग घर से चले हैं तो प्रताप आपके साथ में न था। नौजवान 1- मैं नहीं जानता था कि आप इस मन्दिर की महन्थी करते है या दाराशिकोह की जासूसी!! इस बात का जवाब महन्थ ने तो कुछ भी न दिया मगर उसी औरत ने नौजवान की तरफ देखकर कहा अगर इन्होंने जासूसी का कोई काम किया तो यह कोई नई और ताज्जुब की बात नहीं है बल्कि ताज्जुब की कोई बात है तो यह गुप्तगोदना १२७३