पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/३१९

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eri कर रही थीं। बाघाजी ने पहुचते ही कहा मैं नहीं समझता था कि नानक इतना बड़ा धूर्त और चालाक निकलेगा। धनपति ने कहा था कि वह बहुत सीधा है सहज ही में काम निकल जायगा व्यर्थ इतना आडम्बर करना पड़ा। पाठक याद रखें धनपति उसी औरत का नाम था जिसके घोड़े पर सवार होकर रामगोली नानक के सामने से भागी थी। ताज्जुब नहीं कि धनपति के नाम से बारीक खयाल वाले पाठक चौके और सोचे कि ऐसी औरत का नाम धनपति क्यों हुआ ! यह सोचने की बात है और आगे चल कर यह TIम कुछ रंग लायेगा । घनपति-खैर जो होना था सो हो चुका इतना तो मालूम हुआ कि हम लोग नानक के पज में फंस गये। अब कोई ऐसी तरकीब करनी चाहिए जिससे जान बचे और नानक के हाथ से छुटकारा मिले। याबाजी-मै तो फिर भी नसीहत करूँगा कि आप लोग इस फेर में न पड़ें। अर इन्द्रजीतसिह और आनन्दसिह बडे प्रतापी हैं उन्हें अपने आधीन करना और उनके हिस्से की चीज छीन लेना कठिन है सहज नहीं। देखा पहिली ही सीढी में आप लोगों ने कैसा धोखा खाया। ईश्वर न करे यदि नानक मर जाय या उसे कोई मार डाले और वह किताब उसी के कब्जे में रह जाय और पता न लगे तो क्या आप लोगों के यचने की कोई सूरत निकल सकती है? राममोली कमी नहीं वेशक हम लोग बुरी मौत मारे जायेंगे ! . यावाजी-मैं बेशक जोर देता और ऐसा कभी होने न देता मगर सिवाय समझाने के और कुछ नहीं कर सकता। महारानी-(यायाजी की तरफ देखकर) एक दफे और उद्योग करूँगी, अगर काम न चलेगा तो फिर जो कुछ आप कहेंगे वही किया जायगा। यायाजी-मर्जी तुम्हारी में कुछ कह नहीं सकता। महारानी-(धनपति और रामभोली की तरफ देख कर) सिवाय तुम दोनों के इस काम के लायक और कोई भी नहीं धनपति-मै जान लडाने से कय बाज आने वाली हूँ। रामभोली-जो हुक्म होगा करूँगी ही। महारानी-तुम दोनों जाओ और जो कुछ करते बने करो! रामभौली--काम बाट दीजिए। महारानी-(धनपति की तरफ देख के) नानक के कब्जे से किताब निकाल लेना तुम्हारा काम और (राममोली की तरफ देख के) किशोरी को गिरफ्तार कर लाना तुम्हारा काम । यावाजी-मगर दो बातों का ध्यान रखना नहीं तो जीती न बचोगी! दोनों-वह क्या? यायाजी-एक तो कुँअर इन्द्रजीतसिह या आनन्दसिह को हाथ न लगाना दूसरे ऐसे काम करना जिसमें नानक को तुम दोनों का पता न लगे नहीं तो वह बिना जान लिए कभी न छोड़ेगा और तुम लोगों के फिर कुछ न होगा।(रामभोली की तरफ देख के ) यह न समझना कि अब वह तुम्टारा मुलाहिजा करेगा अब उसे असल हाल मालूम हो गया. हम लोगों की जड युनियाद से खोद कर फेंक देने का उद्योग करेगा। महारानी-ठीक है इसमें कोई शक नहीं। मगर ये दोनों चालाक है अपने को बचावेगी। (दोनों की तरफ देखकर) खैर तुम लोग जाओ देखो ईश्वर क्या करता है। खूब होशियार और अपने को बचाए रहना। दोनों-काई हर्ज नहीं 1 नौवां बयान अब हम रोहतासगढ की तरफ चलते है और तहखाने में बेबस पड़ी हुई बेचारी किशोरी और कुँअर आनन्दसिह इत्यादि की सुध लेते है। जिस समय कुँअर आनन्दसिह नैरोसिह और तारासिह तहखाने के अन्दर गिरफ्तार हो गए और राजा दिग्ििवजयसिह के सामने लाये गये तो राजा के आदमियों ने उन तीनों का परिचय दिया जिसे सुन राजा हैरान रह गया और सोचने लगा कि ये तीनों यहाँ क्योंकर आ पहुच । किशोरी भी उसी जगह खडी थी। उसने सुना कि ये लोग फलाने है तो घबरा गई उसे विश्वास हो गया कि अब इनकी जान नहीं बचती। इस समय वह मन ही गन ईश्वर से प्रार्थना करने 'लगी कि जिस तरह हो सके इनकी जान बचाए इनके बदले में मेरी जान जाय तो कोई हर्जनही परन्तु मैं अपनी आँखों से देवकीनन्दन खत्री समग्र २९२