पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/४७

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Tarih - बात का पूरा यकीन कैस हो कि महारानी भर गई !दुश्मन की बात का यकीन करना बिल्कुल भूल और नादानी है। बहुत देर के बाद रनवीरसिह होश में आये मगर मुह स कुछ न बोल और न अपना इरादा ही कुछ जाहिर किया कि अब वे क्या करेंगे। उठ चडे हुए अपने कपड़ पहिरे और हयों को लगा शहर के बाहर की तरफ रवाना हुए ! जसवन्त भी इनक साथ हुआ किसी न टोका भी नहीं कि कहॉ जाते हो! शहर से बाहर हो चुपचाप सिर नीचा किये हुए एक तरफ रवान हुए 1 इसका खयाल कुछ भी न किया कि कहा जा रहे हैं और रास्ता किधर है। जसवन्त ने चाहा कि समझा बुझा कर घर की तरफ ले जायें मगर रनबीरमिह ने उसकी एक भी न सुनी, लाचार बहुत सी बातें कहता जसवन्त भी उन्हीं के साथ साथ रवाना हुआ। लगभग कोस भर के गए होंगे कि एक तरफ से दो सिपाहियों ने जो ढाल तलवार के अलावे हाथ में लाडेदार बन्दूक भी लिए हुए थे जिसका पलीता सुलग रहा था आकर रनवरसिह का रोका ओर अदब के साथ सलाम करक बोले आपसे कुछ कहना है। (और तय जसदन्त की तरफ देख कर कहा, 'हट जाये यहाँ से, बात करने दे । जसवन्त ने कहा, "क्या तुम्हारे कहने से हट गये, जन्म से तो हम इनक साथ हैं. एसी कौन बात है जा यह हमसेन कहते हों ?" इसके जवाब में एक सिपाही न इन्दुक तान कर कहा "बम हट जा यहा से. नहीं तो अभी गोली मारता हू जन्म से साथ रहने की सारी शेखी निकल जायागी । सिपाही को डाट से जसवन्त हट गया और कुछ दूर पर जा खडा हुआ। दूसरे सिपाही ने अपने जेब से एक चीठी निकाल कर रनवीरसिह क्ष दिखाई जिसकोड पर बड़ी सी माहर की हुई थी। मोहर पर निगाह कर रनवीरसिह ने सिपाही की तरफ देखा और चीठी खोल कर पटने लगे, पटत वक्त ऑचों से वसवर ऑसू जारी था। जब चीठी खत्म होन पर आई तब एक दफे उनके चेहर पर हॅस. आई और ओतू पॉछ सिपाही को तरफ देखने लगे। सिपाही ने कहा 'बस, अब मैं विदा होनाह, आप मेरे सामने यह खत फाड डालिय। इसके जवाब में रनबीरमिह ने यह कह कर खत फाड के पंक दिया कि में भी यही मुनामिय समझता ह जब वे दोनों सिपाही दहाँ से चले गये जसवन्तसिह ने इनके पास आकर पूछा 'ये दोनों कौन थे और यह खत किसका था?" रनवीर-था एक दोस्त का। जसवन्त-क्या नाम बताने में कुछ हर्ज है? रनवीर-हा हर्ज है। सदन्त-अब तक तो कभी एसा नहीं हुआ था ! रनवीर-खैर अब सही। जसवन्त-क्या मैं आपका दुश्मन हो गया ? रनवीर-चेशक। ज" -कैसे? रनवीर-हर तरह से जसवन्त-आपने कैसे जाना? रनवीर-अच्छे सच्चे और पूरे सबूत स जाना। जसवन्त-अफ्सोस एक नालायक बदमाश बालेसिह के कहने से आपका चित्त मेरी तरफ से फिर गया और लड़कपन के सग साथ और दोस्ती की तरफ जरा भी ख्याल न गया ॥ रनबीर-दूर हा मरे सामने से हरामजादे के बच्चे तिरे ना मुह देखने का पाप है। सच है. बड़ों का कहना न मानना अपने पैर में आप कुल्हाडी मारना है। मेरे पिता बराबर कहत थ कि यह दुष्ट सात पुश्त का हरामजादा है, इसका साथ छोड दे नहीं तो पछतायगा। हाय मैन उनकी यात न मानी और तेरी जाहिरा सूरत और मीठी बातों में फसकर अपने का जा बैटा । वह तो ईश्वर की कृपा थी कि जान बच गई नहीं तो ने उसके लेने पर भी कमर बांध ली थी ! जसवन्त यह ख्याल आपका गलत है। आप आजमाने पर मुझ ईमानदार और अपना सच्चा दोस्त पावेंगे। इतनी बात सुनते ही रनवीरसिह को वैहिसाव गुस्सा चढ आया और कमर से तलवार खैच होठों को कपाते हुए बाले. 'हट जा सामने से, नहीं तो अभी दो टुकडे कर डालूगा , रनबीरसिह की यह हालत देख खौफ के मारे जसवन्त हट गया और जी में समझ गया कि अब किसी तरह यह न । कुसुम कुमारी १०५५