पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/४७३

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c इसके जवाब में पीछे की तरफ से फिसी गुप्त मनुष्य ने कहा-'वेशक वेशक तुम मरते मरते भी हजारों का घर चौपट करोगी। सातवां बयान ऐयारी भाषा की चीठी पढने और कमलिनी के ढाढस दिलाने पर कुअर इन्द्रजीतसिह की दिलजमई तो हो गई परन्तु 'टेप का परिचय पाने के लिए वे बैचेन हो रहे थे अस्तु उससे मिलने की आशा में दर्वाजे की तरफ ध्यान लगा कर थोडी देर तक खडे हो गए। यकायक उस मकान का दर्वाजा खुला और धनपत की कलाई पकडे 'टेप महाशय अपने चेहरे पर नकाब डाले हुए आते दिखाई दिये। दर्वाज के बाहर निकलते ही टेप ने अपने चेहरे पर से नकाब हटा दी, सूरत देखत ही कुँअर इन्द्रजीतसिह हस पडे और लपक के उनकी कलाई पकड कर बोले अहा यह किसे आशा थी कि यहा पर राजा गोपालसिह से मुलाकात होगी? (कमलिनी की तरफ देख कर ) तो क्या इन्हीं ने अपना नाम 'टेप रक्खा है? कमलिनी-जी हाँ। इन्दजीतसिह-( गोपालसिह से ) क्या आनन्दसिह इसी मकान के अन्दर है ? गोपाल-जी हाँ आप मकान के अन्दर चलिए और उनसे मिलिए । इन्द्रजीत--एक औरत के रोने की आवाज हम लोगों ने सुनी थी शायद वह भी इसी मकान के अन्दर हो? गोपाल-जी नहीं वह कम्बख्त औरत (धनपत की तरफ इशारा करके ) यही है। न मालूम ईअर न इस हरामजादे का कैसा मर्द बनाया है कि आवाज से भी कोई इसे मर्द नहीं समझ सकता। कमलिनी-इसे आपने कर पकडा? गोपाल-यह कल से मेरे कब्जे में है और मैं कल ही इसे इस मकान में कैद कर गया था लल्कि आज छुडान के लिए आया था। इन्दजीत-तो आप फल भी इस मकान में आ चुके हैं मगर मुझसे मिलने के लिए शायद कसम खा चुके थे। गोपाल-(हस कर ) नहीं नहीं मेरा वह समय बडा ही अनमोल था एक एक पल की दर बुरी मालूम होती थी इसी से आपसे मिलने के लिए में रुक न सका। इसका खुलासा हाल आप सुनेंगे तो बहुत ही हसगे और खुश होंगे। मगर पहिले मकान के अन्दर चल कर आनन्दसिह से मिल लीजिए तब यह अनूठा किस्सा आपसे कहूगा। इन्द्रजीत-क्या आनन्द यहाँ तक नहीं आ सकता? गोपाल-नहीं वे यहा नहीं आ सकते। वे तिलिस्मी कार खान में फस चुके है इस लिए छूटने का उधाग नहीं कर सकते बल्कि तिलिस्म के अन्दर जा सकते है और उसे तोड़ कर निकल आ सकत है। मगर अब उनसे मिलने में देर न कीजिए। इन्द्रजीत-आप जिस काम के लिए गये थे वह हुआ? गोपाल-वह काम बखूबी हो गया उसका खुलासा हाल थोडी देर में आपस कहूगा। कमलिनी-भूतनाथ को आपने कहाँ छोडा? गोपाल-वह भी आता ही होगा। वास्तव में वह बडा ही चालाक और धूर्त ऐयार है। उसने जो काम किए है सुनोगी तो हसते हसते लोटन कबूतर बन जाओगी (इन्द्रजीतसिह की तरफ दखकर ) आप आनन्दसिह के फसने से दुखीन होइए क्योंकि आप दानों भाइयों के लिए इस तिलिस्म का ताडना जरूरी हो चुका है। इन्द्रजीत-ठीक है मगर रिक्तयन्थ का पूरा पूरा मतलब उसकी समझ में नहीं आया है और इससे तिलिस्म के काम में उसे तकलीफ होना सम्भव है। उसमें दस बारह शब्द ऐसे हैं जिनका अर्थ नहीं लगता और इन शब्दों का अर्थ जाने बिना बहुत सी बातों का मतलब समझ में नहीं आता। गोपाल--(हस कर ) आपका कहना ठीक भगर मैं एक बात आपको ऐसी बताता हूँ कि जिससे आप हर एक तिलिस्मी ग्रन्थ को अच्छी तरह पढ़ और समझ लेंगे और उनमें चाहे कैसे ही टेढ़े शब्द क्यों न हो मगर मतलब समझने में कठिनता न होगी। इन्द्रजीत--वह क्या? गोपाल-केवल एक छोटी सी बात है। इन्द्र-मगर उसके बताने में आप हुज्जत बडी कर रहे है। चन्द्रकान्ता सन्तति भाग ४५९