पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/६०७

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दि मगर हजार कोशिश करने पर भी उससे वह चीठी पढी न गई क्योंकि सिवाय टेढी मेढी और पेचीली लकीरों के किसी साफ अक्षर का उसके अन्दर भूतनाथ को पता ही न लगा। आधे घण्टे तक आराम करने के बाद भूतनाथ उठ खडा हुआ और 'लामा घाटी की तरफ रवाना हुआ । पाँचवाँ बयान भूतनाथ अब बिल्कुल आजाद हो गया। इस समय उसकी ताकत उतनी ही है जितनी आज के दस दिन पहिले थी और जितने आज के दस दिन पहले उसके चाबेदार थे उतने ही आज भी हैं। पाठक जानते ही है कि भूतनाथ अकेला नहीं है बल्कि बहुत से आदमी उसके नौकर भी है जो इधर उधर घूम फिर कर उसका काम किया करते हैं। भूतनाथ ने जब से नकली बलभद्रसिह से यह सुना कि 'उसकी बहुत ही प्यारी चीज मेरे कब्जे में है जिसे वह लाभाघाटी में छोड आया था तब से वह और भी परेशान हो गया था। वह बहुत प्यारी चीज क्या थी? बस वही उसकी स्त्री जिसके पेट से नानक पैदा हुआ था और जिसे उसने नागर की मेहरबानी से पुन पा लिया था। वास्तव में भूतनाथ अपनी उस प्यारी स्त्री को लामाघाटी में ही छोड आया था। मूतनाथ इस समय जमानिया जाने के बदले लामाघाटी ही की तरफ रवाना हुआ और तीसरे दिन सध्या समय उस घाटी में जा पहुंचा जिसे वह अपना घर समझता था । यहाँ पर हमपाठकों के दिल में लाभाघाटी की तस्वीर बँचकर भूतनाथ की ताकत और उसके स्वभाव या ख्याल का कुछ अन्दाज करा देना मुनासिब समझते हैं। लामाघाटी में किसी अनजान आदमी का जाना बहुत कठिन ही नहीं बल्कि असम्भव था। ध्यानशक्ति की सहायता से यदि आप वहाँ जॉय तो सब के पहिले एक छोटी सी पहाड़ी मिलेगी जिस पर चढ़ने के लिए एक बारीक पगडण्डी दिखाई देगी। जब उस पगडण्डी की राह से पहाड़ी के ऊपर चढ जायेंगे तो तीन तरफ नैदान और पश्चिम तरफ केवल आधा कोस की दूरी पर एक बहुत ऊँचा पहाड मिलेगा। उसके पास जाने पर मालूम होगा कि ऊपर चढने के लिए कोई रास्ता या पगडण्डी नहीं है और न पहाड़ के दूसरी तरफ उतर जाने का ही मौका है। परन्तु खोजन की कोई आवश्यकता नहीं आप उस पहाडी के नीचे पहुँचकर दाहिनी तरफ घूम जाइये और जब तक पानी का एक छोटा सा झरना आपको न मिले बराबर चले ही जाइये। वह दोतीनहाथ चैडाझरना आपका रास्ता काट के बहता होगा उसे लॉधने की कोई आवश्यकता नहीं आप वाई तरफ आँख उठा कर देखेंगे तो बीस पचीस हाथ की ऊँचाई पर एक छोटी सी गुफा दिखाई देगी आप वेधडक उस गुफा में चले जाइये जिसके अन्दर विल्कुल अन्धकार होगा और बनिस्चत चाहर के अन्दर गर्मी कुछ ज्यादे होगी। कोस भर तक घराबर गुफा के अन्दर ही अन्दरचलने के बाद जब आप बाहर निकलेंगे तो एक छोटा सा मैदान नजर आएगा। वह मैदान छोटे छोटे जगली फलों और लताओं से ऐसा भरा होगा कि दूर से देखने वालों को तो आनन्द मगर उसके अन्दर जाने वाले के लिए आफत समझिये। उसमें जाने वाला तीस चालीस कदम मुश्किल से जाने के बाद इस तरह से फंस जयगा कि निकलना कठिन होगा । उस मैदान के किनारे किनारे दाहिनी तरफ और फिर बाई तरफ घूम जाना होगा और जब आप पश्चिम और उत्तर के कोने में पहुंचेंगे तो ओर एक गुफा मिलेगी। आप उस गुफा के अन्दर चले जाइये। लगभग दो सौ कदम जाने के बाद जय. आप बाहर निकलेंगे तो अनगढ और मोटे मोटे पत्थर के ढोको से बनी हुई दीवारें मिलेंगी जिसके बीचोबीच में एक बहुत बड़ा लड़की का दर्वाजा लगा है। यदि दर्वाजा खुला है तो आप दीवार के उस पार चले जाइये और एक पुरानी बहुत बडी इमारत पर नजर डालिए। यद्यपि यह मकान बहुत पुराना है और कई जगह से टूट भी गया है तथापि जोकुछ बचा है बहुत मजबूत और पचासों बरसात सहने योग्य है जिसमें अब भी कई दालान और कोठरिया मौजूद हैं और उस स्थान का नाम लामाघाटी है। भूतनाथ के आदमी या नौकर चाकर इसी मकान में रहते है और अपनी स्त्री को भी वह इसी जगह छोड़ गया था। उसके सिपाही जो बडे हीदिमागदार बहुत कट्टर और साथ ही इसके ईमानदार भी थे गिनती में पचास से कम न थ और भूतनाथ के खजाने की हिफाजत बड़ी मुस्तैदी और नेकनीयनी क साथ करत थे तथा गई कठिन कामों को पूरा करने के लिए भूतनाथ की आज्ञा पाते ही मुस्तैद हो जाते थे। उस मकान के चारों तरफ बहुत मैदान छोटे छोटे जमली खूबसूरत पौधों से हरा भरा बहुत ही खूबसूरत मालूम पडता था और उसके बाद भी चारों तरफ की पहाड़ियों के ऊपर जहाँ तक निगाह काम कर सकती थी छोटे छोटे खूबसूरत पड' पौध दिखाई पड़ते थ। भूतनाथ इसी लामाघाटी में पहुचा ! पहुचने के साथ ही चारों तरफ से उसके आदमियों ने खुशी-खुशी उसे घेर लिया और कुशल मगल पूछने लगे। भूतनाथ सभों से हँस कर मिला और हाँ सब ठीक है बहुत अच्छा है मेरा आना "लामाघाटी एक पहाडी स्थान का नाम है। का चन्द्रकान्ता सन्तति भाग १३