पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/६४६

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ext दखती हो उसके साथ दुश्मनी करना येशक बुरा है मगर एस के साथ वेमुरौबती करन में कुछ भी हर्ज नहीं है जिसके हृदय की आँख फूट गई हा जिसे दुनिया में किसी तरह की इज्जत हासिल करने का शौक न हा, और जिस लोग हमदर्दी की निगाह से न देखते हो। कल्याण-(दाँत पीस कर ) तो फिर सबसे पहिले मुझे आप ही का बन्दोबस्त करना पड़ा !! इसके पहिले कि कन्यागसिह की बात का शेरअलीखों कुछ जवाब दे बाहर से एक आवाज आई- हा यदि तेर किर इस आवाज दोनों को चौका दिया मगर कल्याणसिह न ज्याद देर तक राह देखना मुनासिब न जाना और काठरी का तरफ २३ कार जोर से ताली बजाई। शरअलीखां समझ गया कि कल्याणसिह अपने साथियों को बुला रहा है क्योंकि वह थोड़ी ही देर पहिले कह चुका था कि मेरे साथ सौ सिपाही भी आए है जो हुक्म दने के साथ ही इस कोउरी में समरी तरफ निकल सकते है। कल्याणसिह ताली बजाता हुआ कोठरी की तरफ बढ़ा और उसका मतलब समझकर शेरअलीयान भी शीव्रता से कमरे का दर्वाजा अपने मददगारों को बुलाने की नीयत से खाल दिया तथा उसी समय एक नकाबपोश को हाथ में रजर लिए कमरे के अन्दर पर रखले देखा । शेर अलीखाँ ने पूछा तुम कौन हो? नकाबपोश 7 जवाब दिया तुम्हारा मददगार । इससे ज्यादे बातचीत करन का मौका न मिला क्योंकि कोठरी के अन्दर से कई आदमी हाथ मे नगी तलवार लिए हुए निकलते दिखाई दिए जिन्हें कल्याणसिह ने अपनी मदद के लिए बुलाया था। चौथा बयान अब हार अपने पाठकों को कुँअर इन्दजीतसिह और आन्नदसिह की तरफ ले चलते है जिन्हे जनानिया के तिलिस्म में नगर के किनारे पत्थर की चट्टान पर बैठ कर राजा गोपालसिह से बातचीत करते छोड़ आए है। दोनों कुमार पड़ोदर तक राजा गोपालसिह से बातचीत करते रहे। राजा साहब से बाहर का सब हाल दानों भाइयों रो कहा और यह ना कहा कि किशोरी और कामिनी रानी दुशी साथ कमलिनी के तालाब बाल भकान में जा पहुंची अब उ लिए चिन्ना करने की आवश्यकता नहीं है। किशोरी और कामिनी का शुभ समाचार सुनकर दोनों भाई बड पस्न हुए, राजा गोपालसिह स इन्द्रजीतसिह ने कहा हम गहते है कि इस तिलिस्म सघाहर हाकर पहिल अपने मो शाप से मिल जाये क्योंकि उनका दशन किए बहुत दिन हो गए और व भी हमारे लिए उदास होग। गोपाल-मगर यह तो हो नहीं सकता। इन्द-माक्यों? गोपाल-जब तक आप चार लान के लिए रास्ता-1 बना सॉग यार से जायगे और जब तक इस तिलिस्म को आप तोडननगे बाहर जाने का रास्ता कैसे मिलेगा। इन्द्र-जिस रास्ते से आप यहा आए है या आप जायगे उसी रास्ते से आपके साथ अगर हम लगामी चले जॉयता कौन रोक सकता है? गोपाल-वह रास्ता केवल मेरे हा आन जाने के लिए है आप लोगो के लिए नहीं। इन्द-(हस कर ) क्योंकि आपसे हम लोग मोटे-ताजे ज्यादे है दाज में अट 7 सकेंगे। गोपाल-(हसकर) आप भी बड मसखरे है मेरा मतलब यह नहीं है कि मैं जग-बूझकर आपको नहीं ल जाता चल्कि यहा के नियमों का ध्यान करक मैने एसा कहा था आपो तो तिलिस्मी किताब में पढ़ा ही होगा। इन्द्र-हा हम पढ तो चुके है और उससे यहा मालूम भी होता है कि हम लोग चिना तिलिस्म तोडे बाहर नहीं जा सकते | मगर अफसोस यही है किउस क्लिाप को लिखो गला हमारे सामने मौजूद नहीं है अगर होता तो पूछते कि क्यों नहीं जा गकते? जिस राह से राजा साहब आए उसी राह से उनके साथ जान में क्या हर्ज है ? गोपाल-किसी तरह का हज हागतमीबुजुगों न ऐगा लिखा है। कौन ठिकाना किसी तरह की आफत आ जाय तो जनम भर के लिए मै रदनाम हो जाऊँगा अस्तु आपको भी इसके लिए जिहन करनी चाहेए हा यदि अपन उद्योग से आप बाहर जाने का रास्ता बना लें तो वेशका चल जाय। देवकीनन्दन खत्री समय