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उस समय इन पर रोमांचकारी अत्याचार किए जाते थे।
जहाँ छोटे-छोटे राजा-सामन्त परस्पर लड़ते और सारे देश के वातावरण को अशान्त और अराजक रखते थे––वहाँ देश-भर में यह धर्मान्धकार सारे समाज को अविद्या, अन्धविश्वास और अनाचार में धकेलता जा रहा था। ऐसा ही वह युग था। तब ईसा की बारहवीं शताब्दी बीत रही थी। उसी काल की घटना का वर्णन हम इस उपन्यास में कर रहे हैं।