पृष्ठ:देव और बिहारी.djvu/३०६

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देव और विहारी the beginning of March and they go on arriving till the midale of May. None of the natatores stay in Nepal in spring except the teal. " इससे स्पष्ट है कि बाहर से आनेवाले पक्षियों में 'चाहा' तो सबसे पहले पाता है और राजहंस, चकवा, मुरगाबी इत्यादि उसके बाद। उत्तर दिशा से आते हुए ये पक्षी ऑगस्ट-मास के अंत में नेपाल से गुज़रते हैं और मार्च के प्रारंभ में फिर दक्षिण से उत्तर की ओर जाते दिखाई पड़ते हैं। मई के मध्य तक इनका लौटना जारी रहता है। नैटैटोरीज़-विभाग का कोई भी पक्षी (पनडुबे को छोड़कर) वसंत-ऋतु में नेपाल में नहीं ठहरता। यही महाशय पृ० ३६६ पर फिर लिखते हैं- "भारत के अधिकांश पर्यटनशील पक्षी उत्तर के ठंडे देशों में रहते हैं। वे सितंबर और ऑक्टोबर में भारत पाते और मार्च, एप्रिल तथा मई में यहाँ से चले जाते हैं।" खास चक्रवाक के विषय में कराची की म्युनिसिपल लाइब्रेरी तथा अजायबघर के क्यूरेटर, विक्टोरियन नेचुरल हिस्ट्री इंस्टीट्यट के प्रबंधक नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी और एंथोपॉलोजिकल सोसाइटी (बंबई ) के सदस्य जेम्स ए० मरे एफ्. एस्. ए. एल्. यों लिखते हैं- "चक्रवाक जाड़े की ऋतु में भारत में श्रानेवाला पक्षी है। सिंध-प्रदेश में यह प्रत्येक झील, नाले, विशेषकर मुंचर पर और सिंधु-नदी के किनारे पाया जाता है। पौ-फटे या सूर्यास्त के समय हंसों और मुरग़ाबियों के बड़े-बड़े झुंड उगते हुए गेहूँ के खेतों का श्राश्रय लेते और उन्हें बड़ी हानि पहुंचाते हैं।" सारांश, यह कि चक्रवाक हिमालय की उत्तर दिशा में स्थित अपनी जन्म-भूमि से सितंबर-मास के लगभग भारत में आता है।