पृष्ठ:देव और बिहारी.djvu/६६

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भूमिका निदान जैसा कुछ हो सका, यह क्षुद्र प्रयत्न प्रेमी पाठकों की सेवा में उपस्थित किया जाता है। साहित्य-मार्ग बड़ा गहन है- उसमें पद-पद पर भूलें होती हैं। हम तो एक प्रकार से इस मार्ग में कोरे ही हैं । अतएव विज्ञ पाठकों से प्रार्थना है कि हमारी भूलों को क्षमा करें। गंधौली (सीतापुर) विनीत- मार्गशीर्ष, सं० १९७७ वै० कृष्णविहारी मिश्र