पृष्ठ:द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र.djvu/१७३

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पं० पद्मसिंह शर्मा जी के पत्र द्विवेदी जी के नाम ओम् अजमेर १४-१०-०८. मान्यवर पण्डित जी महाराज! प्रणाम ११-१० का कृपा कार्ड अभी मिला। एक लिफाफा मैंने कल भेजा है, पहुंचेगा। उसी में बी० एन० के अपील की कटिंग भी भेजी है। हिस्ट्री के लिए आज फिर मथुरा को लिखा है। बी० एन० की किताबें भी वहीं से मंगाई है। आने पर फौरन भेज दूंगा। १६ जून का आ० मित्र खो गया उसकी कापी और बाबूराम की किताब आगरे से मंगाई है, आने पर भेजूंगा। अभियोक्ताओं को खूब और जरूर सजा मिलनी चाहिए। इसके लिए जो मेरी सेवा दरकार हो निःशंक आज्ञा देते रहिए, मैं तैयार हूं। रात और आज प्रातःकाल महाराजा शाहपुराधीश से भेंट हुई। उन्होंने परोपकारी जारी रखने की आज्ञा दे दी है। मैनेजर प्रेस ने तो बहुत कोशिश की कि यह बन्द हो जाय, पर उसकी एक न चली। तथापि मेरा मन यहां से खिन्नः है, इसलिए थोड़े दिन ठहर कर इसे छोड़ने का पक्का इरादा है। कुशल लिखिए। फाल्गुन का परोपकारी भेजता हूं। कृपापात्र पद्मसिंह (६२) ओम् रिप्लाइड अजमेर १८-१०-०८ १६-१०-०८ पण्डित जी महाराज प्रणाम मैंने गलती से फाल्गुन के परोपकारी की जगह आषाढ़ का भेज दिया। यह भूल कल मालूम हुई आज फाल्गुन का अंक भेजता हूं। मथुरा और आगरे से अभी उत्तर नहीं आया। आया ही चाहता है।