पृष्ठ:द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र.djvu/१८९

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६० पद्मसिंह शर्मा जी के पत्र द्विवेदी जी के नाम १७५. मिलेगा? दो एक दिन में यहां से प्रस्थान होगा। पत्रोत्तर मथुरा पं० क्षेत्रपाल सुख संचारक एंड कं० की मार्फत भेजिए। शेष फिर। कृपापात्र पद्मसिंह शर्मा सावित्री के चित्रावली कविता में, ११ पतयोंवाला ताना वाहियात है, जिस महाभारत में सावित्री का चरित्र है वहीं तो ११ नहीं २१ तक की विधि है ? फिर यह ताना आजकल के लिए ही क्यों' ?' (७६) मथुरा ३०-८-०९. श्रीमान् पंडित जी महाराज प्रणाम हम यहां २७-८-०९ को पहुंचे। आपका कृपापत्र मिला। आपकी बीमारी और उन्निद्रता का हाल जानकर बड़ा खेद हुआ। आशा है आप अब अच्छे होंगे। यहां से हम आगरा, भरतपुर, होते हुए अजमेर पहुंचेंगे, अपना कुशल समाचार संपादक, आर्यमित्र आगरा द्वारा भेजकर अनुगृहीत कीजिए। दौरे के चक्कर में लोगों से मिलने जुलने और मांगने में अवकाश बिलकुल नहीं मिलता, कविताः कलाप की बहुत सी कविताएं पढ़ना अभी बाकी है। हि० को० रत्नमाला भी पढ़ने को साथ लाये थे, वह भी नहीं पढ़ी जा सकी। पढ़कर लिखूगा। १५ दिन में हम लोग ६०० रु० इकट्ठा कर चुके हैं। यदि ऐसा ही क्रम जारी रहा तो आशा है कुछ हो जायगा। कविताकलाप का या तो २य भाग और निकलना चाहिए या दूसरे एडीशन में छूटे हुए कविता और चित्र और बढ़ा दिये जायं। पुस्तक हाथ में उठाते ही दुर्वासा और शंकुतला याद आते हैं। आपका पद्मसिंह शर्माः - १. पत्र के पुठे पर लिखा हुआ है।