द्विवेदी जी के पत्र 'जनसौदन जी के नाम बोलचाल की भाषा ठीक होगी। पर जो आपको पसन्द हो। 'मोहिनी' को जाने दीजिए, आप कृपा करके ४ चित्रों पर लिखिए- (१) कृष्णविरहिणी राधिका, (२) गंगावतरण, (३) परशुराम (४) अहल्या। पिछले २ चित्र इसके साथ भेजते हैं। कविता के साथ लौटा दीजिएगा। गंगावरतण 'सरस्वती' में छप चुका है। उस पर किशोरीलाल गोस्वामी की कविता भी छप चुकी है। चित्र आपने देखा होगा। रविवर्मा के अंगरेजी चरित में कृष्णविरहिणी राधिका का चित्र . चरित्र है। एक स्त्री शोक में बैठी है। सखी उसकी पास है। उसी पर लिखिए। विनत महा. (३९) दौलतपुर ९-२-०९ प्रियवर पंडित जी ____ कृपाकार्ड मिला। यह जानकर खुशी हुई कि आप अब नीरोग हैं। हमारा वही हाल है। होली के लिए घर आए हैं। १०-५ दिन में कानपुर लौट जायंगे। वहां से २-२ मास के लिए विश्रामार्थ अल्मोड़ा या हरद्वार जाने का विचार है। आपके लेख में आज्ञानुसार आवश्यकता होने पर उचित संशोधन कर दिया जायगा। आप खातिर जमा रखें। यथावकाश अन्यान्य उपयोगी लेख भेजने की कृपा करें। विनीत महावीरप्रसाद द्विवेदी (४०) बनारस प्रणाम ____ कृपाकार्ड मिला। आपकी तबीयत पहले से अच्छी है, यह जानकर खुशी हुई। आपने जो नुस्खे भेजे तदर्थ धन्यवाद। भंग से हमें स्वाभाविक नफरत है। उसके नशे से और भी नींद नहीं आती। यहां जलवायु बदलने आए थे। पर भीड़-भड़का