पृष्ठ:द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र.djvu/९२

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पं० पद्मसिंह शर्मा जी के पत्र द्विवेदी जी के नाम (२) ओम एस० डी० पी० प्रेस जलंधर सिटी जुलाई ६, ०५ श्रीमत्सु विवुधवरेषु मुमूर्ध्ववस्थापन्न हिन्दीभाषायै जीवनदानायगृहीतावतारेष्वि स्वषेषु प्रणतिपूर्वकमावेदनम्। कृपापत्र मिला, आनन्दित और अनुगृहीत किया। ‘एजूकेशन' के अनुवाद का श्रीमान् को पूर्व से ही ध्यान है, यह मालूम करके जो हर्ष हुआ, वह वर्णनातीत है। सच तो यह है कि आप अकेले हिन्दी भाषा के लिये जो काम कर रहे हैं, वह काम भारतवर्ष के सारे हिन्दी हितैषी भी नहीं कर रहे । आपकी 'सरस्वती' हिन्दी साहित्य की वही सेवा कर रही है जो उर्दू की 'अलीगढ़ साइन्टिफिक सोसाइटी गजट' ने की है। ___ 'एजूकेशन' का उर्दू अनुवाद मैं आजकल देख रहा हूँ, अनुवाद बड़ा उत्कृष्ट है, अनुवादक ने कई बातें अपने अनुवाद में मूल से भी अधिक बढ़ा दी हैं, तथा ग्रन्थ- कर्ता की जीवनी, पुस्तकस्थ विषयों का संक्षिप्त और विस्तृत सूचीपत्र, मार्जनल नोट, फुटनोट आदि आदि। पुस्तक के अन्त में बड़े बड़े प्रसिद्ध विद्वानों की सम्मति छपी है, जिसमें अनुवाद की इतनी प्रशंसा की है कि जितनी किसी अच्छे से अच्छे अनुवाद की की जा सकती है। आप उसे अवश्य देखिए, और यदि उचित समझिए तो उसी रीति का अनुसरण कीजिए। अनुवाद पानीपत निवासी मौ० अलताफ हुसेन हाली के एक सम्बन्धी ग्रेजुएट ने किया है, 'रिफाहे आप' स्टीम प्रेस, लाहौर में छपा है। परन्तु कहाँ से और कितने को मिलता है, यह पुस्तक पर नहीं लिखा (जिस पुस्तक को मैं देख रहा हूँ, वह मुझे एक मित्र से मिली है, और उनकी भी वह अपनी नहीं है)। जिस प्रेस में वह छपी है उसके अध्यक्ष से मैंने उसका मूल्य और मिलने का पता पूछा है। उत्तर आने पर आपको लिखूगा। पुस्तक की 'भाषा बहुत कठिन नहीं है। संस्कृत अनुवाद का पता यदि आपको चल जाय तो मुझे भी सूचित करें। उस 'मेघदूत' का वृत्तांत मैने 'विद्योदय' संस्कृत पत्र में पढ़ा था। कलकत्ता संस्कृत कालेज के प्रिन्सिपल महामहोपाध्याय पं० हरिदास शास्त्री ने उसका अनु- वाद किया है, कदाचित उनसे ही मिलता होगा। ____ 'शिक्षा' और 'सबएजूकेशन आफ वम्यन' का अनुवाद करके आप हिन्दी साहित्य पर इतना उपकार करेंगे कि जिससे वह कभी उऋण नहीं हो सकेगा।