पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/११६

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0 उत्पनि प्राशीष मेरे माता पिता के ग्राशीषों से इतने अधिक हैं कि सनातन पर्वतों के अंत खा बन्द गये और ये यूसुफ के सिर पर और उस के सिर के मुकुट पर हेगि जो अपने भाइयों से अलग था। २७॥ बिनयमोन फड़वैये इंडार की नाई होगा बिहान को अहेर भलेगा और मांझा को लूट बांटेगा ॥ २८। ये सब इसराएल को बारह गाठी हैं और उनके पिता ने उन्हें यह कहके आशीष दिया और अपने अाशोध के समान हर एक को वर दिया ॥ २६ । फिर उन ने उन्हें अाझा किई और कहा कि मैं अपने लोगों में एकट्टे होने पर हं मुझे अपने पितरों में उम कटला में जो हिनी फारुन के खेत में है गाड़ियो॥ ३० उम कह'ला में जो मकफीनः के खेत में भमरी के आगे कनशान देश में है जिसे अबिरहाम ने समाधि स्थान के अधिकार के लिये खेत समेत इफरून हित्ती से मोल लिया था। ३.५ । वहां उन्होंने अबिरहाम को और उस की पत्नी सरः को गाड़ा वहां उन्हों ने इजहाक को और उस की गनी रिबन को गाड़ा और वहां मैं ने लियाह को गाड़ा ॥ ३२॥ खेत उम कंदला समेत जो उस में था हिल के बटों से गोल लिया ॥ ३३। और जब यअब अपने बटों को श्राज्ञा कर तो उम् ने बिछोने पर अपने पांव को समेट लिया और प्राण ज्यागा और अपने लोगों में जा मिला। ५० पचासवां पर्छ। व यूसुफ अपने पिता के मुंह पर गिर पड़ा और उस पर रोया । । पिता के लिये अपने वैद्य सेवकों को प्राज्ञा किई और वैद्य ने दूसराएल में मुगंध भरा॥ और उस के लिये चालीस दिन बीत गये क्योंकि जिम में सुगंध भरा आता है उतने दिन बीते हैं और मिस्त्रियों ने उस के लिये सत्तर दिन ले बिलाप किया । ४। और जब रोने के दिन उप के लिये बीत गये तो यूसुफ ने फिरजन के घराने से कहा कि जो मैं ने तुम्हारी दृष्टि में अनुग्रह पाया है तो फिरजन के कानों में कह देओ। ५ । कि मेरे पिता ने मुझ से किरिया लिई कि देख मैं