पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१४६

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यात्रा लाल समुद्र १४ पर्छ लाया ॥ ५७। और यों हुआ कि जब फिरजन ने उन लोगों को जाने दिया तब ईश्वर उन्हें फिलिमनियों के देश के मार्ग से ले म गया यद्यपि बह मनीष घा क्योंकि ईश्वर ने कहा कि न हो कि लोग लड़ाई देख के पछताव और मिस को फिर जावें ॥ १८ । परंतु ईश्वर उन लोगों को के बन की ओर ले गया और इसराएल के मतान पाती पानी मिस्त्र के देश से निकले चले गये। १६ । और मूसा ने यूसुफ की हड्डियां साथ ले लिई क्योंकि उस ने इसराएल के संतान को किरिया देके कहा था कि निश्चय ईश्वर तुम से भेंट करेगा और तुम यहां से मेरी हड्डियां अपने साथ लेजाइयो। २० । फिर थे मुकान से चल निकले और बन के छोर पर छावनी किई ॥ २१ ॥ और परमेश्वर उन के आगे आगे दिन को मेघ के खंभे में होके उन्हें मार्ग बताता था और रात को आग के खंभे में होके कि उन्हें प्रकाश करे जिस ते रात दिन चले जावें ॥ २२। बह दिन में मेष के खंभे को और रात में ग्राम के खंभे को उन लोगों के अागे से न उठाना था। १४ चौदहवां पर्व । पर परमेश्वर ने मूसा से कहा ॥ २। कि इसराएल के संतान से कह कि फिर और मिजदाल के आगे फीउलहीरात और समुद्र के मध्य में छावनी करें तुम बअलसफून के मन्मुख जा समुद्र के तौर पर है डेरा करो। ३ । क्योंकि फिरजन इसराएल के मतानों के विषय में कहेगा कि वे इस देश में बसे हैं और बन ने उन्हें छक लिया है। और में फिरऊन के मन को कठोर करूंगा कि वुह उन का पीछा करेगा और में फिरजन और उस की समस्त सेना पर प्रतिष्ठित होगा जिसने मिली जान कि परमेश्वर में हूं और उन्हों ने ऐसाही किया । और मिस्र के राजा को कहा गया कि लोग भाग गये तब फिरजन का और उस के सेवकों का मन लोगों के विरोध में फिर गया और वे वाले कि हम ने यह क्या किया कि इसराएल को अपनी सेवा से जाने दिया । ६। तब उस ने अपना रथ जाता और अपने लोग साथ लिये। बार उम ने छः मो चुने हुए रथ और मिस्र के समस्त रथ साथ लिये मे ४॥ ५।