पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१५३

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को पुस्तक । पाया॥ २७ पच्चे] और मूसा ने कहा कि उसे अाज खाओ क्या कि आज परमेश्वर का विश्राम है आज तुम खेत में न पाओगे ॥ २६ । छ: दिन लो उसे वटारो परंतु मातवां दिन विश्राम है उस में कुछ न पाओगे॥ २७ । और ऐसा हुआ कि बहुतेरे उन लोगों में से सातवें दिन बटोरने को गये और कुछ न २८ । तव परमेश्वर ने मूसा से कहा कि कब तुम मेरी अाज्ञायों को और मेरी ब्यवस्था को पालन न करोगे ॥ २६ । देखेर कि परमेश्वर ने तुम्हें विश्राम दिया इस लिये वह तुम्हें छठवें दिन में दा दिन का भोजन दता है हर एक तुम्म से अपने स्थान से बाहर न जावे । ३० । तब लोगों ने सातवे दिन विश्राम किया ॥ ३१ । और इसराएल के घराने ने उस का नाम मन्न र कला और बुह धनिया की नाई खेत और उस का खाद मधु महित टिकिया की नाई था॥ ३२ । और मुसा ने कहा कि यह वुह बात है जो परमेश्वर आज्ञा करता है कि उस्मे एक जमर भर अपनी पीढ़ियों के लिये घर रक्खा जिसमें वे उस रोटी को देखें जो मैंने तुम्हें बन में खिलाई जब मैं तुम्हें मिस्र के देश से बाहर लाया ॥ ३३ । और मूसा ने हारून को कहा कि एक हांड़ी ले और एक जमर मन्न उस में भर और परमेश्वर के आगे रख छोड़ जिसतं वुह तुम्हारी पीढ़ियों के लिये धरा जाय ॥ ३४ । सो जैसा कि परमेश्वर ने को बैमा हारून ने साती के धागे उसे घर रक्खा। ३५ । और इसराएल के मंतान चालीस बरम जब लो कि वे बस्तो में न आये मन्न खाते रहे जब लो कि वे कनान की भूमि के सिवाने में न आये मन्न खाने रहे॥ ३६ । अब एक कमर ईफा का दसवां भाग है। मूसा कहा था १७ समारहवां पर्च। त ब इसराएल के संतान की समस्त नंडली ने अपने पात्र में परमेश्वर की आज्ञा के तमाम सीन के बन से यात्रा किई और रफ़ीदीम में डेरा किया वहां लोगों के पीने का पानी न था। २। सेो लोग मसा से झगड़ने लगे और कहा कि हमें पानी दे कि पीय ममा ने उन्हें कहा कि मुझ से क्यों झगड़ते हे। परमेश्वर की क्या परीक्षा करते हो ॥ ३। और लोग पानी के पियासे प्रे और मूमा पर कुड़कुड़ाये और कहा कि