पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१५२

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यात्रा उन्हें कह कि तुम मांझ का मांस खाये।गे चार बिहान का राटी से हम होरोगे और तुम जानोगे कि मैं परमेश्वर तुम्हारा ईश्वर हं॥ १३ । और यो जाकि सांझ को बटेरे ऊपर आई और छावनी को टप लिया और बिहान को सेमा के ग्राम पास ओस पड़ी॥ १४॥ और जब शाम पड़ के ऊपर गई तब क्या देखते हैं कि वन में छोटी छोटी गाल वस्तु ऐसी स्वेन जैसे पाना का टुकड़ा एथिवी पर पड़ा हो॥ १५ । और इसराएल के संतानों ने देख के आपुम में कहा कि यह क्या है क्योंकि उन्हों ने न ज्ञाना कि वुह क्या है तब मूसा ने उन्हें कहा कि यह रोटी जिसे परमेश्वर ने तुम्हें खाने को दिया है। १६ । यह बुह बात है जो परमेश्वर ने तुम्हें कही थी कि हर एक उस में से अपने खाने के समान मनुष्य पीछे एक ऊमर एकडे करे अपने प्राणियों की गिनती के समान उन के लिये जो उम के तंब में हैं लेवे॥ १७। तब दूसराएल के संतानों ने याही किया और किसी ने थोड़ा और किसी ने बहुत एकट्ठा किया ॥ १८ ! और जब हरएक ने अपने को दूसरे से ताला तो जिस ने बहुत एकट्वा किया था कुछ अधिक न पाया और उस का जिस ने थोड़ा एकट्ठा किया था कुछ न घटा हर एक ने उन में से अपने खाने भर वटोरा॥ १६ । और मसा ने उन से कहा कि कोई उस में से बिहान लोरख न छोड़े। तथापि उन्हों ने मूसा की बात को न माना परंतु कितनों ने विहान लों कुछ रख छोड़ा और उस में कोड़े पड़ गये और वसाने लगा मूमा उन पर ह हुआ॥ २१ । और उन में से हर एक ने हर विहान का अपने खाने के समान बटोरा और जब सूर्य की धाम पड़ी तब बुह पिघल गया। २२। और यां हुआ कि छठवे दिन उन्हों ने दूना भोजन बरे रा जन पौछ दो जनर और मंडली के समस्त अध्यक्षों ने श्राके मसा को जनाया ॥ २३। तब उस ने उन्हें कहा कि यह वही है जा परमेश्वर ने कहा है क कल विश्राम परमेश्वर का पवित्र विश्राम है तुम्हें भूजना है। से भूज लेनो और जो पकाना हो सो पका ले और जा बच रहे से अपने लिये विहान लो यत्न से रक्खा ॥ २४ । से। जैसा मूमा ने कहा था वैसा उन्हों ने बिहान ला रहने दिया बुह न सड़ा न उस में कीड़े पड़े ॥ २५ ।