पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२०७

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३ पर्व कुछ की पुस्तक । पिसान की होवे ॥ ६। उसे टुकड़ा टुकड़ा करना और उस पर तेल डालना यह भोजन को भेंट है ॥ ७। और यदि तेरी भेट भाजन की भेट कराही में की होवे तो चोखा पिसान तेल सहित बने।८। और तू भोजन की भेंट को जो परमेश्वर के लिय इन बस्तु न से बनी है ला और याजक के आगे धर दे और बुह उसे यज्ञवेदी के भागे लावे॥ । और याजक उस भोजन की भेंट में से उस के मारण के लिये और बेटी पर जलाचे यह परमेश्वर के लिये सुगंध की भेंट आग से बनी है। १.। और जो कुछ भोजन की भेंट में से बच रहा है सो हारून यार हारून केटों का है यह भेंट अत्यंत पवित्र परमेश्वर के लिये आग से बनी है। ११। कोई भोजन की भेंट जो तुम परमेश्वर के लिये लाया खमौर से न बने क्योंकि खमीर गौर नई मधु परमेश्वर के लिये किसी भेट में न जलाया जावे ॥ १२ । पहिले फलों की अट जो है तुम उन्हें परमेश्वर के आगे लाओ परंतु सगंध के लिये बेदी पर जलाई न जावे ॥ १३ । और तू अपने भोजन की हर एक भेट को नोन से लोनौ कौजियो और मेरे भोजन की भेंट अपने ईश्वर के नियम के नोन से रहित न होने पाये अपनी समस्त भेंटों में नोन की भेट साइयो। १४ । और यदि त पहिले फलों से परमेश्वर के लिये भोजन की भेंट लावे तो अपने पहिले फले के भोजन की भेंट अन्न की हरी बाले भनौ हुई अर्थात् भरी बालों में से अन्न पीटर इंद्या॥ १५ । उस पर तेल डालिया और गंधरम जपर रखियो यह भोजन की भेट है। १६ । और पीटे हुए अन्न में से और उस के तेल में से और उस के समस्त गंधरस सहित याजक जलावे यह आग से परमेश्वर के लिये भेट है। ३ तीसरा पर्च। पर यदि उस की भेंट कुशल का बलिदान है।वे और बह गाय बैल में से लावे चाहे नर अथवा स्त्री बर्ग होवे परमेश्वर के आगे निखार २। और धुह अपना हाथ अपनी भेंट के सिर पर रक्खे और मंडली के तंब के द्वार पर उसे बलि करे और हारून के बटे जा याजक उम के लोह को बदी पर चारा और छिड़क ॥ ३। और बुह कुशल लावे॥