पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३२२

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गिनती और सुन न देखियेगा मेरे लिये वहां से उन पर खाप दौजिये॥ १४ ॥ और बुह उसे वहां से सफाईम के खेत में पिसगः कौ चोटो पर ले गया और मात बेदो बनाई हर बेदी पर एक बैल और एक मेढ़ा चढ़ाया॥ १५। तब उस ने बलक से कहा कि जबलों में वहां जाऊं और ईश्वर से मिल अाऊं तू यहां अपने होम के बलिदान पास खड़ा रह ॥ १६ ॥ से परमेश्वर बलान को मिला और उस के मुंह में बचन डाला और कहा कि बलक पाम फिर जा और यों कह ॥ १७। और जब वह उम पास पहुंचा तो क्या देखता है कि बुह अपने होम के बलिदान के पास मोअब के प्रधानों समेत खड़ा है तब बलक ने उससे पूछा कि परमेश्वर ने क्या कहा है। १८॥ तब उम ने अपने दृष्टांत उठाके कहा कि उठ हे बस्तुक सफूर के बेटे मेरी शोर कान धर॥ १६। ईश्वर मनग्य नहीं कि झूठ वोले न मनुष्य का पुत्र कि वुह पछताये क्या बुह कहे और न करे अथवा बाले और उसे पूरा न करे॥ २० ! देख में ने आशीष के निमित्त पाया है उस ने आशीष दिया है में उसे पलट नहीं सक्ता ॥ २१। उस ने यअकूब में बुराई नहीं देखी न उस ने इसराएल में हठ देखा परमेश्वर उस का ईश्वर उस के साथ है और एक राजा का ललकार उन के मध्य में है। २२। ईश्वर उन्हें मिस से निकाल लाया वुह गैंड़े का सा बल रखता है॥ २३ : निश्चय यअकूब के बिरोध टोना नहीं और दूसराएल के बिरुव कोई प्रश्न नहीं इस ममय के समान यअकब के और इसराएल के विषय में कहा जायगा कि ईवर ने क्या किया ॥ २४ । देखा ये लोग महा सिंह की नाई उठगे और आप को युबा सिंह के समान उठावंग वुह न मोवेगा जब ला अहेर न खा ले और जबलो जूझ का लोहू न पो ले । २५ । तब बसक ने बलाम से कहा कि न तो उन्हें साप न आशीष दोजिये॥ २६ । परंतु बलशाम ने उत्तर दिया और बलक से कहा क्या मैं ने तुझे नहीं कहा कि जो कुछ परमेश्वर कहेगा मैं अवश्य करूंगा। २७। तब बलक ने बलअाम से कहा कि आइये मैं आप को और स्थान पर ले जाऊ कदाचित् ईश्वर की इच्छा होवे कि वहां से आप मेरे निये उन्हें साप दौजिये ॥ २८। तब बनक बलाम २८। तब बलक बलग्राम को फार की