पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३५

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२५ पर्व 1 २५ ७। फिर को पुस्तक मुझे क्या देगा में तो निबंश जाता हूं और मेरे घर का भंडारी दमिश्की इलिअजर है॥ ३। फिर अविराम ने कहा कि देख त ने मुझे कोई बंश न दिया और देख जा मेरे घर में उत्पन्न हुअा वही मेरा अधिकारी है। है। और देखो परमेश्वर का बचन उस्से यूं कहते हुए पहुंचा कि यह तेरा अधिकारी न होगा परन्तु जो तुझी से उत्पन्न होगा से तेरा अधिकारी होगा। ५। फिर उस ने उसे वाहर ले जाके कहा अब वर्ग की ओर देख और जो तारों को तू गिन सके तो उन्हें गिन फिर उस ने उसे कहा कि तेरा बंश ऐमा ही होगा। ६ । तब बुह परमेश्वर पर विश्वास लाया और यह उस के लिये धर्म गिना गया। उस ने उसे कहा कि मैं परमेश्वर है जो तुझे यह भूमि अधिकार में देने को कलदानियों के जर से निकाल लाया । ८। तब उस ने कहा कि हे परमेश्वर मेरे ईम्बर में क्यांकर जानों कि मैं उस का अधिकारी होऊंगा॥ ६। तब उस ने उसे कहा कि न तीन बरसी एक कलर और तीन बरनी एक दकरो और तीन बरमी एक मेढ़ा और मक पंडुक और कपोत का एक बना मेरे लिये ले॥ १.। सो उम ने ये सब अपने लिये लिया और उन्हें मध्य से दो दो भाग किये और हर एक भाग को उम के टूसरे भाग के सान्ने धरा परन्तु पंछियों का भाग न किया ॥ ११ ॥ जब हिमक पंछी उन लोधों पर उतरे अधिराम ने उन्हें हांक दिया॥ १२॥ और सूर्य अस्त होते हुए अविराम पर भारी नींद पड़ी और क्या देखता है कि बड़ा भयंकर अंधकार उस पर पड़ा॥ १३ । तब उस ने अबिराम को कहा निश्चय जान कि तेरे बंश औरों के देश में परदेशी होंगे और उन की सेवा करेंगे और वे उन्हें चार सौ बरस ला सतावगे ॥ १४ परन्नु जिन की वे सेवा करेंगे मैं उस जाति का भी विचार करूंगा और वे पीछे बड़ी मपनि लेके निकलेंगे। और अपने पितरों में कुशल से जायगा और बहुत पुरनिया होके गाड़ा जायगा ॥ ५६ । परन्तु चौथी पीढ़ी में वे इधर फिर आगे क्योंकि अभूरियों का अधर्म अब ले भरपर नहीं हुआ॥ १७। और जब सूर्य अन्त हुआ ना यां हुआ कि अधियारा हुआ कि देखा एक धुआं उठता भट्ठा आग का दीपक उन टुकड़ों के मध्य में से हे।के चला गया । [A. B.S.] एक