पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४४३

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को पुस्तक। य ४२५ अलंग घान में बैठाया। १३। और जब उन्हों ने सारे लोगों को अर्थान् मनस्त सेना के जो नगर के उत्तर थी और अपने घात के लोगों को नगर की पशिम और घात में बैठाया तब यह सूअ उसी रात उस भौचाई के मध्य में गया। १४। और ऐसा हुआ कि जब श्रई के राजा ने देखा तब उन्हों ने उताबली किई और तड़के उठे और नगर के मनुष्य राजा और उस के सारे लोग ठहराये हुए समय में चौगान के आगे इसराएल से लड़ाई करने के लिये निकले परंतु उस ने न समझा कि नगर के पीछे उस के विरोध में लोग घात में लगे हैं।। १५ । तव यहूस्सा और सारे इसराएल ने ऐसा किया जैसा कि सन के आगे मारे गये और अरण्य की ओर भागे। १६ । और आई के समस्त लोग उन का पीछा करने के लिये एकट्ठ बुलाये गये से उन्होंने यह सूत्र का पीछा किया और नगर से खेंचे गये। ९७१ और आई में अथवा बैतएल में कोई पुरुष न छूटा जिस ने इसराएल का पीछा न किया और उन्हों ने नगर को खुला छोड़ा और इसराएल का पीछा किया। १८ । तब परमेश्वर ने यहसूज से कहा कि अपने हाथ के भाले को अई की और बढ़ा क्योंकि मैं उसे तेरे हाथ में कर दूंगा से यहूसूत्र ने अपने हाथ के भाले को उस नगर की ओर बढ़ाया ॥ १६॥ और उस के हाथ फैलाने हो घानिये अपने स्थान से तत्काल उरे और नगर में पेठ गये और उसे ले लिया और चटक से नगर में आग लगाई। २०। और जब अई के लोगों ने अपने पीछे देखा तो क्या देखते हैं कि नगर का धूंा खर्गले उठ रहा है और उन्हें इधर उधर भागने की सामर्थन रही और जो अरण्य की ओर भाग गये थे खेदवैयों पर उलटे फिरे ॥ २१ । और जब यहसूत्र और सारे इसराएल ने देखा कि घातियों ने नगर ले लिया और नगर से धूंधां उठ रहा है नब वे उलट फिरे और बई के लोगों को घात किया॥ २२। और वे नगर में से उन पर निकल आये और इसराएल के मध्य में पड़ गये कुछ दूधर कुछ उधर और उन्हों ने उन्हें ऐसा मारा कि उन में से एक को न छोड़ान भागने दिया॥ २३ । और उन्हों ने अई के राजा को जीता पकड़ लिया और उसे यहसून पाम लाये। २४। और यो हाकि जब दूसराएल खेत