पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४६३

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की पुस्तक। ४५.५ दूफरायम की हुई और उत्तर f. शा मुनमी की और उसका सिवाना समुद्र था से। वे दाना उत्तर दिशा यमर और पर्व दिशा इश कार से जा मिलों ॥ ११॥ और मुनशी इश कार में और यमर में वैनशन और उम के नगर और बलिश्राम और उस के नगर और दार के निवासी और उस के नगर और ऐनदार के निवामी और उस के नगर और तअनाक के बामौ और उस के नगर और मजिद्दों के निवासी और उस के गर अथोत् तीन देश रखते थे ॥ १२ । तथापि मुनस्मो क लान उन नगगे को न ले सके परन कनानी उस देश में बमा चाहतं थे। १३। नधापि यां हुआ कि जब इपराएल के मतान भवन हुए नो कनानियों से कर लिया परंतु उन्ह मया हर न किया। १५ । सेो युसफ क मतान ने यह मन्त्र से कहा कि तू ने किम लिय चिट्ठी में से हमें एक ही अधिकार और यावल एक ही भाग दिया यह जान के कि हम बहत हैं जैसा कि ईश्रर ने हमें अब लॉ आशीष दिई है॥ १५॥ नव बहूमत्र ने उन्हें उत्तर दिया कि यदि तुम बहुत से हो तो बन पर चढ़ जाया और यदि इफ़रायम तुम्हारे लिय सकन है तो अपने लिय फरि जो के और दानव के देश काटा॥ १६। तब यमुफ ने कहा कि यह पहाड हमारे लिये घोडा है और समस्त कमानी जा वैनशान के और उस के नगर के और बजराल की नौचाई के और जानीराई. के देश में रहते हैं लोहे की गाड़ियां रखते हैं॥ १७॥ नब यह ने यमुफ के समान इफरायम चार से कहा कि तुम जानिगण हो और बड़ी मामी रखने होनेरे लिये केवल एक ही भाग न होगा॥ १८। परंतु पहाड़ तेरा होगा क्योंकि बुह अपय है तू उसे कार डालिया और उस के निकास तेरे होगे क्याक तू कगानियों के खडगा यद्यपि बे लोहे के रथ रख के बली हैं। का बड़ा १८ अटारहबां पर्य। त •ब सारे इसराएल के संतान की मंडली सैला में एकट्ठी हुई और वहां मडली के धू कर खड़ा किया और दश उन के वश में अाया। २। और इसराएल के सतानों में सात गाठी रह गई थीं जिन्होंने