पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४६४

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यह १८ पर्व] बने अधिकार न पाया था। ३। सेो यह ने दूसराएल के संतानों से कहा कि कब नो उम देश को बम करने में जो परमेश्वर तम्हारे पितरों के ईश्वर ने नम्ह दिया है आलस्य करे।गे॥ ४ । सो अपने में से हर एक गाठों में से तीन तीन जन टेओ और मैं उन्हें भेजंगा कि वे उठके इस देश के प्रारंभार फिर और उसे अपने अधिकार के समान लिख और फिर मुक्त पास भावें ॥ ५। और वे उस के सात भाग करें यहाह अपने सौर पर दक्षिण की ओर रहे और यमुफ के घराने उत्तर दिगा में श्र ने नारे पर उदरें ॥ ६ । सो उम दश क मान भाग लिख के मभा पाम यहां लायेजिपत में परमेश्वर के आग जो हमारा ईश्वर है तुम्हारे लिये चिट्ठो डलू॥ ७१ परंतु तुम्हां में नावी का भाग नौं यांकि परमेश्वर को याजकना उन का अधिकार है और जद रुविन और मुनस्यो को बाघी गाठो ने ने घरदन क पार पर दिशा में अपने अधिकार पाय हैं जा परमेश्वर के सेवक मूसा ने उन्हें लिया था। ८। तब लोग उठ कि चल से। जो देश के लिखने का गये थे यह मथ ने उन्हें प्राज्ञा करके कहा कि उस देश में जाओ और आरपार फरा और लिखक मुझ पाम फिर आगे जिसने में सैला में परमेश्वर के श्राम तुम्हारे लिये चिट्ठी डानं । 1 से लोग गय और उस देश में भारंभार फिरे और उसे नगर न्गर साल भाग करक एक पुस्तक में वर्णन किया और यह मात्र पास सैला में तंबू स्थान का फिर श्राय । १७ । तब यज्ञसूत्र ने सेला में उन के लिये चिट्ठो डाली और दश इसराएल के संतान को उन के भाग क समान वहां बांट दिया। बिन्यमौन बा संतान की गाड़ी को चिट्टी उन क घराने के समाने निकलों और उन के भाग का नियाना यहूदार के मनान और यमुफ का संतान के मध्य में निकला। १२ । और उन का मियाना उत्तर दिशा यरदन नदी से था और उन का मित्राना घरौहू क पास से उत्तर दिशा का चढ़ा और पतों में से पश्चिम चढ़ गया और उम के निकास वैननयन क बन में थे । १३ । और सिमाना वहां से लीज की शॉर गया लैज की अलंग जा बैनरल है दक्षिण दिशा को और सिशामा अगरातबहार का उतरा उस पहाड़ के पास जो नीचे के नहौरान की दक्षिण की और