पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४८५

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प ३ की पुस्तक उन्हें मिस्र के देश से निकाल लाया था छोड़ दिया चौर उपरी देवों का पोका किया अर्थात् अपने चारों ओर के लोगों के देवों के छाग दंडवत किई और परमेश्वर को रिम दिलाई। १३ । सो उन्होंने परमेश्वर को छोड़ दिया और यवल और इस्तारात की सेवा किई ॥ १४ । तब परमेश्वर का क्रोध इमराएल पर भड़का और उस ने उन्हें नष्ट कारियां के वश में कर दिया जिन्हों ने उन्हें नष्ट किया और उम ने उन्हें उन के ग्राम पास के वैरियों के हाथ में बेचा यहां ले कि वे फिर अपने वैरियां के आगे म उहर मने थे। १५। जहां कहीं घेनिकलते थे परमेश्वर का हाथ बुराई के लिये उन के विरोध में था जैसा कि परमेश्वर ने कहा था और जैसी कि परमेश्वर ने उन से किरिया खाई थी और वे अत्यंत दुःखी हुए। १६ । तथापि परमेश्वर ने न्यायियों को खड़ा किया जिहां ने उन्हें उन के नष्ट कारियों के हाथ से छुड़ाया॥ १७॥ नद भो वे अपने न्यायियों की भी न मुनते थे परंतु उपरी दवों के पश्चाङ्गामी हुए और सन के आगे दंडवत किई वे उस मार्ग से जिम पर उनके पितर परमेश्वर की अान्ना का पालन करके चलते घे बहुत शौच उलटे फिरे परंतु उन्हें पालन न किया। १८। और जब परमेश्वर उनके लिये न्यायियों को खड़ा करता था तब परमेश्वर न्यायी के साथ रहता था और उन्हें उनके शबुन | के हाथ से न्यायी के जीवन भर छुड़ाता रहा क्योंकि परमेश्वर उन के कहरने से जो उन के मनाने और दुख देने हारों के कारण से था पछताया ॥ १६और ऐसा हुआ कि जब न्यायी मर जाता था तब वे फेर फिर जाते थे और श्राप को अपने पितरों से अधिक बिगाड़ते थे कि और उपरी देवनाओं का पीछा पकड़ते थे कि उनकी सेवा और दडवत करें वे अपनी अपनी चाल से और अपने अपने हठीले मार्ग से न फिरते थे। २. 1 नब परमेश्वर का क्रोध इसराएल पर भड़का और उस ने कहा इस कारण कि जैमा इन लोगों ने मेरी उम बाचा को जो मैं ने लन के पितरों से बांधो थी भंग किया है और मेरे शब्द को न माना है। २१। मैं भी अब से उन लोगों में से जिन्हें यहसूअ छोड़ के मरा किसी को भी उन के आगे से दूर न करूंगा॥ २२। जिमने में उन के द्वारा से इमराएल को परखं कि वे अपने पितरों की नाई परमेश्वर के