पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५१

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२४ पर्छ की पुस्तक को उत्तर देके कहा ॥ १५। मेरे प्रभु मेरी मुनिये उस भूमि का माल चार सौ शैकस्त चांदी है यह मेरे और आप के आगे क्या वस्त है सो आप अपने मृतक को गाड़िये॥ १६। और अबिरहाम ने इफरून को मान लिई और उस चांदी को दूफरून के लिये तैल दिया जो उस ने हिन के बेरों के मुन्ने में कही थी अर्थात् चार सौ शैकल चांदी जिन की चलन बैपारियों में थी। १७ सो दफरून का खेत जो मकफौलः में ममरी के आगे था वुह खेत और कंदला जो उसमें थी और उस खेत में के सारे पेड़ जो चारों और उस के सिवाने में थे॥ १८। हित के संतानों के आगे और सभी के आगे जो नगर के फाटक में से भीतर जाते थे अबिरहाम के अधिकार के लिये दृढ़ किये गये । १६। इस के पीछे अबिरहाम ने अपनी पत्नी सरः को भकफीलः के खेत की कला में जो ममरी के आगे है गाड़ा वही हबरून कनान देश में है। २०। और वुह खेत और उस में की कंदला हित के संताने से अबिरहान के हाथ में समाधि स्थान के लिये दृढ़ किये गये । २४ चौबीसवां पर्छ । पर अबिरहाम छद्र और दिनी जया और परमेश्वर ने सब बातों में अविरहाम को वर दिया था॥ २। और अबिरहाम ने अपने घर के पुराने सेवक को जो उस की सारी संपत्ति का मधान था कहा कि अपना हाथ मेरी जांध तले रख ॥ ३। और मैं तुझ से परमेश्वर खर्ग के ईश्वर और पृथिवी के ईश्वर को किरिया लेऊंगा कि तू कनानियों की लड़कियों में से जिन में में रहता हूँ मेरे बेटे के लिये पत्नी न सेना । ४ । परन्तु तू मेरे देश और मेरे कुटुम्ब में जाइयो और मेरे बेटे इज़हाक के लिये पन्नौ लीजिया ॥ ५ । परन्तु उम सेवक ने उसे कहा कि क्या जाने वह स्त्री इस देश में मेरे संग आने को न चाहे तो क्या अवश्य मैं श्राप के बेटे को उस देश में जहां से आप आये है फिर लेजाऊ॥ ६ । अविरहाम ने उसे कहा चैौकस रह तू मेरे बेटे को उधर फिर मन ले जाना ॥ ७ ! परमेश्वर वर्ग का ईश्वर जो मेरे पिता के घर से और मेरे जन्म भूमि से मुझे निकाल लाया और जिस ने मुझे कहा और मुझ से किरिया (A. B. S.] ओ 6