पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५९

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२६ पर्व] की पुस्तक । वुह मेरी बहिन है क्योंकि वुह उसे अपनी पत्नी कहते हुए डरा न हो कि वहां के लोग रिबक: के लिये उसे मार डालें क्योंकि वुह देखने में सुंदरी थी॥ ८। और यों हुआ कि जब वुह वहां बहुन दिन लो रहा तो फिल स्तियों के राजा साबिमलिक ने झरोखे से दृष्टि किई और देखा तो क्या देखता है कि इजहाक अपनी पत्नी रिबकः से कलोल करता है। < । तब अविमलिक ने इज़हाक को बुलाके कहा देख बुह निश्चय तेरी पत्नी है फिर तू ने क्योंकर कहा कि बुह मेरी बहिन है इजहाक ने कहा दूम लिये मैं ने कहा नहा कि मैं उन के लिये मारा जाऊं ॥ १० । और अबिमलिक बोला यह क्या है जो तू ने हम से किया है यदि लोगों में से कोई तेरी पत्नी के साथ अकर्म करता तब तू यह दोष हम पर लाना ॥ ११। तब अविमलिक ने अपने सब लोगों केर यह आज्ञा किई कि जो कोई इस पुरुष को अथवा उस की पत्नी को छयेगा निश्चय घान किया जायगा॥ १२ । तब इजहाक ने उस देश में खेती किई और उस बरस सौ गुना प्राप्त किया और परमेश्वर ने उसे श्राशीष दिया ॥ १३ । और बुह मनुस्य बढ़ गया और उस की बढ़ती होती चली जाती थी यहां ले कि चुह अन्वंत बड़ा धनी हो गया। १.४ । क्योंकि वुह झंड और ढोर और बहुत से सेवकों का खामी हुना और फिलिस्तियों ने उल्लो डाह किया ॥ १५। और मारे कूरं जेर उस के पिता के सेवकों ने उस के पिता अविरहाम के समय में खादे थे फिलिस्तियों ने ढांप दिये और उन्हें मट्टी से भर दिये। १६ । सो अबि. मलिक ने इजहाक से कहा कि हमारे पास से जा क्योंकि तू हम से भी सामों है ॥ १७॥ और इज हाक वहां से गया और अपना तबू जिरार को तराई में खड़ा किया और वहीं रहा। १८। और इजहाक ने उन जल के कयों को जो उन्होंने उस के पिता अबिरहाम के दिनों में खोद घे फिर खादा क्योंकि फिलिस्तियों ने अबिरहाम के मरने के पीछे उन्हें दांप दिया था और उस ने उन के बही नाम रकडे जो उस के पिता ने रक्खे थे। १९ । और इज़हाक के सेवकों ने तराई में खोदा और वहां एक कुआं जिस में जल का सेता था पाया। २० । और जिरार के अहीरों ने इज़हाक के अहीरों से यह कहके झगड़ा किया कि यह जल हमारा है और उन के 7 [A. B. S.]