पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६३२

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ममयल [१२ पच १८। तब यूअब ने यड्व का समस्त समाचार दाऊद को कहला भेजा। १०। और टून को आज्ञा किई कि जब तू राजा से युद्ध का समाचार कह चुके॥ २० । तो यदि ऐसा हो कि राजा का क्रोध भड़के और वुह तुझे कहे कि जब तुम लड़ाई पर चढ़े तो नगर के निकट क्यों आये क्या तम न जानते थे कि वे भीत पर से मारेंगे॥ २१ । बरुब्युसत के बेटे अविमलिक को किसने मारा एक स्त्री ने चकौ का पाट भीत पर से उस पर नहीं दे मारा कि वुह नैबीज में मरा तुम भौत के नौचे क्यों गये थे तब कहियो कि तेरा सेवक हित्ती जरियाह भी मारा गया। २२। सो दूत बिदा हुआ और आया और जो कुछ कि यूअब ने कहला भेजा था से दाजद को सुनाया॥ २३ । और दून ने दाजद से कहा कि लोग हम पर भबल हुए और वे चौगान में हम पर निकले और हम उन्हें रगेटे हुए फाटक को पैठ ले चले गये ॥ २४ । तब धनु पधारियों ने भीत पर से तेरे सेवकों को बाण से मारा और राजा के कितने ही सेवक मारे गये और आप का सेवक हित्ती जरियाह भी मारा गया ॥ २५ । तब दाऊद ने हूत से कहा कि यअब को जाके उभाड़ और कह कि यह बात तेरी दृष्टि में बुरी न लगे क्योंकि खड्ग जैसा एक को वैसा दूसरे को कारता है त नगर के साम्ने संग्राम को दृढ़ कर और उसे ढा दे ॥ २६ । और जरियाह की स्त्री अपने पति फरियाह का मरना सुन के बिलाप करने लगी ॥ २७॥ और जब शोक के दिन बीत गये तब दाजद ने उसे अपने घर बुलवा लिया और वुह उस की पत्नी हुई और वह उस के लिये बेटा जनी परंतु जो कुछ कि दाजद ने किया परमेश्वर की हधि में बुरा था। जोर १२ बारहवां प॥ भर परमेश्वर ने नातन को हाजद पास भेजा और उस ने उस पास आके कहा कि नगर में दो जन थे एक तो धनी दूसरा कंगाल ॥ २। उम धनी के पास बहुत से झुंड और ढार थे ॥ ३। परंतु उस कंगाल के पास भेड़ की एक पठिया को छोड़ कुछ न था उसे उस ने माल लिया और पाला था और बुह उस के और उस के बालबच्चों के साथ बढ़ी